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उद्दीन मोहम्मद अकबर की कहानी और इतिहास

अकबर की कहानी – जलाल उद्दीन मोहम्मद अकबर का इतिहास

इस लेख में हम मुगल साम्राज्य के राजा अकबर की कहानी (Akbar Ki Jivani) अथवा जलाल उद्दीन मोहम्मद अकबर का जीवन परिचय के विषय में बात करेंगे|

अकबार का पूरा नाम जलाल उद्दीन मोहम्मद अकबर था | उनके पिता जी का नाम नसीरुद्दीन हुमायूँ था और इनकी माता का नाम हमीदा बानो था.

अकबर को अकबर-ए-आजम भी कहते है| अकबर के शाशन के अंत तक भी मुगल साम्राज्य में उत्तर और मध्य भारत के अधिकांश भाग सम्मिलित थे और अकबर का साम्राज्य उस समय के सबसे शक्तिशाली साम्राज्य में से एक था.

अकबर अपने साम्राज्य का सबसे शक्तिशाली राजा और महान राजा भी कहलाता है|

अकबर एक ऐसा राजा था जिसे हिन्दू और मुस्लिम दोनों ही कार्गो से एक बराबर प्यार मिलता था| अकबर ने हिन्दू और मुस्लिम समाज के बीच की दूरियों को ख़त्म करने के लिए दिन-या-इलाही नामक धर्म की स्थापना की थी.

अकबर का दरबार सभी के लिए फिर चाहे वो हिन्दू हो या मुस्लिम सभी के लिए एक बराबर खुला रहता था| अकबर के दरबार में मुसलमान सरदार की जगह पर हिन्दू सरदार अधिक थे.

अकबर का इतिहास में अकबर ने ऐसे बहुत से काम किये जिससे की हिन्दू और मुस्लिम दोनों ही अकबर के प्रशंसक बने| अकबर जब तरह वर्ष के थे जब उनके पिता की मृत्यु हुई थी तब अकबर अपने पिता की मृत्यु के पुरानी राजगद्दी पर बेठे थे.

Akbar History in Hindi – अकबर की जीवनी हिंदी में

अकबर का पूरा नाम :
अबुल-फतह जलाल उद्दीन मुहम्मद अकबर
किस रूप में जाना जाता है : अकबर महान
अकबर का जन्म : 15 अक्तुबर, 1542
जन्मस्थान : अमरकोट
अकबर की मृत्यु :
27 अक्टूबर 1605 (फतेहपुर सीकरी, आगरा)
दफन : सिकंदरा, आगरा
धर्म : इस्लाम, दीन-ए इलाही
राजवंश : मुगल राजवंश
राज्याभिषेक 14 फरवरी 1556
पिता Father of Akbar : हुमायूँ
माता :
नवाब हमीदा बानो बेगम साहिबा
विवाह Wives of Akbar :
रुकैया बेगम सहिबा, सलीमा सुल्तान बेगम सहिबा, मारियाम उज़-ज़मानि बेगम सहिबा, जोधाबाई राजपूत।
संतान Son of Akbar :
जहाँगीर (Salim), दानियाल, सुल्तान मुराद मिर्जा, हवर्ष, हुसैन
शासनकाल :
11 फरवरी 1556 से 27 अक्टूबर 1605
राज्य संरक्षक : बैरम खान (1556-1561)
दादा : बाबर

अकबर की कहानी हिंदी में – Biography of Akbar in Hindi

⇓ History of Mughal Badshah Akbar in Hindi ⇓

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Mughal Empire Jalaluddin Akbar Biography in Hindi

जलाल उद्दीन मोहम्मद अकबर जो पहले अकबर और फिर बाद में “अक़बर एक महान” के नाम से जाना जाने लगा था.

अकबर भारत का तीसरा और मुगल का पहला सम्राट था| चौसा और कन्नौज में होने वाले शेर शाह सूरी से युद्ध में हुमायूँ का विवाह हामिदा बानो से हुआ था फिर उसके बाद अकबर का जन्म 15 अक्टूबर 1542 को सिंध में हुआ था जो अभी पाकिस्तान में है.

बहुत समय के पश्चात अकबर अपने पुरे परिवार के साथ काबुल चले गए थे जहा पर उनके चाचा जी रहते थे.

Akbar Ka Itihas की बात करे तो अकबर का बचपन युद्ध कला सिखने में व्यस्त था इससे अकबर एक निडर और शक्तिशाली राजा और बहादुर योद्धा बने.

अकबर की पत्नियां|

सन् 1591 में अकबर में काबुल की रुक़य्या सुलतान बेगम से विवाह किया|

महारानी रुक़य्या बेगम अकबर के चाचा हैंडल मिर्जा की बेटी थी| रुक़य्या बेगम अकबर की पहली और मुख्य पत्नी थी| हैंडल मिर्ज़ा की मृत्यु के बाद हुमायूँ ने उनकी जगह ले ली और दिल्ली को फिर से स्थापित किया.

दिल्ली में एक विशाल और बड़ी सेना का गठन किया तथा उसके कुछ समय पश्चात ही हुमायूँ की मृत्यु हो गयी.

हुमायूँ की मौत के बाद अकबर ने अपने राज्य में शाशन चलाया क्यूँकि उस वक्त पर अकबर छोटे थे| अकबर ने भारत पर हुकूमत की एक बहुत शक्षम और बहादुर योद्धा होने के कारण उन्होने पुरे भारत पर अपना कब्जा जमा रखा था.

अकबर की ताकतवर फोज के कारण ही उसका कब्जा पुरे भारत पर था| अपने मुगल साम्राज्य को एक रूप बनाने के लिए अकबर ने जो भी प्रान्त जीते थे अकबर ने उन प्रान्त के साथ एक तो संधि की या फिर शादी करके रिश्तेदारी की|

राज्यव्यवस्था – Mughal Empire Jalaluddin Akbar Biography in Hindi

अकबार के राज्य में बहुत से धर्म के लोग रहते थे और सभी एक साथ रहते थे| अकबर ने अपने राज्य को एक जुट बनाये रखने के लिए बहुत काम किये जिससे की राज्य में अलग-अलग धर्म के लोग भी एक साथ रहे.

अकबर के ऐसा कार्य करने से पैसा भी बहुत खुश थी| अकबर साहित्य को काफ़ी पसंद करते थे| उन्होने पुस्तकालय की स्थापना भी की|

उस पुस्तकालय में चौबीस हजारो से भी अधिक संस्कृत, उर्दू, ग्रीक, लैटिन, कश्मीरी सभी भाषा की पुस्तके उपलब्ध थी और साथ ही उस पुस्तकालय में कई विद्वान और लेखक भी मौजूद थे.

अकबर ने खुद फतेहपुर सिकरी में महिलाओ के लिए एक पुस्तकालय की स्थापना की थी और हिन्दू और मुस्लिम बच्चो की शिक्षा के लिए स्कूल खोले गए.

अकबर के दरबार में पूरी दुनिया से शिल्पकार और वास्तुकार इकठ्ठा होते थे और अलग अलग विषयो पर चर्चा करते थे दिल्ली, आगरा औरफतेहपुर सिक्री के दरबार अकबर के मुख्य शिक्षा के केंद्र बन चुके थे.

दीन-ए-इलाही धर्म की स्थापना – Akbar Story in Hindi Language

अकबर ने अपने राज्य में हिन्दू और मुस्लिम लोगो में एकता बनाये रखने के लिए एक नए धर्म की स्थापना की थी| इस धर्म का नाम दीन-ए-इलाही था.

इस धर्म में किसी भी भगवान की पूजा नही की जाती थी इसमें कोई मंदिर या कोई पुजारी नही होता था यह धर्म बहुत ही सहनशील और सरल धर्म था.

इस धर्म में जानकारी को मारने पर रोक लगाई गई थी और इसमें शांति पर सबसे ज्यादा महत्व दिया जाता था| इस धर्म में कोई रस्मोरिवाज या कोई ग्रन्थ नही होता था| अकबर के दरबार के सभी लोग इस धर्म का पालन करते थे और वो अकबर को पैगम्बर भी मानते थे| बीरबल भी इस धर्म का पालन करते थे.

इस धर्म की वजह से हिन्दू और मुस्लिम लोगो में एक दूसरे के प्रति प्यार और बढ़ गया था इससे सबसे बड़ा फायदा यह हुआ की लोग भेदभाव न करके सभी को बराबर मानने लगे थे.

अकबर के दरबार के नवरत्नों के नाम – Jalaluddin Muhammad Akbar History in Hindi

⇓ Akbar Badshah Full History in Hindi ⇓

Jalaluddin Muhammad Akbar History in Hindi Language

अकबार के दरबार की सबसे खास बात यह थी की उसके दरबार में एक से बढ़कर एक कलाकार रहते थे तथा वे सभी अपने काम में पूर्ण रूप से निपुण थे|

अकबर के दरबार में नौ लोग इसे थे जिन्हे नवरत्न कहा जाता था| इन नवरत्न के नाम इस प्रकार है:-

  1. बीरबल
  2. अबुल फजल
  3. टोडरमल
  4. तानसेन
  5. मानसिंह
  6. अब्दुर्रहीम ख़ानख़ाना
  7. मुल्ला दो प्याज़ा
  8. हक़ीम हुमाम
  9. फ़ैजी आदि

ये सब लोग थे जब ये सब लोग एक साथ होते थे तब नज़ारा काफी देखने योग्य होता था इन नौ व्यक्तियो का सामूहिक नाम नवरत्न कहलाता था.

#(1). अबुल फजल अकबर के दरबार के सहिती, इतिहास और दर्शनशास्त्र का विद्वान अधिकारी था दिन-ए-इलाही के गठन में भी अबुल फजल का बहुत अधिक योगदान था अगर कभी भी वाद विवाद होता तो अबुल को हराना नामुमकिन था.

कबूल एक अच्छा लेखक था उस युग के बारे में बहुत सी जानकारी अबुल द्वारा लिखी रचनाओ में मिलती थी तथा उसकी लेखन शक्ति का अन्य परिचय उसके पन्नो में मिलता था.

#(2). राजा बीरबल का जन्म ब्राम्हण कुल में था वह अकबर के दरबार में होने के साथ साथ अकबर का अच्छा मित्र भी था| बीरबल अपने हाजिर जवाब और हसिरस के गण के कारण अकबर का बहुत प्रिय था.

बीरबल ने अपनी चतुराई और अपने स्वाभाविक गुणों के कारण नवरत्नो में स्थान पा लिया था बीरबल चतुर, चालाक होने के साथ साथ इतना ही गुणवान भी था.

#(3). राजा टोडरमल उत्तर प्रदेश के निवासी थे शुरुआत में उन्होने शेरशाह सूरी के यहां पर नौकरी की थी राजा टोडरमल अकबर के वित्त मंत्री थे.

टोडरमल ने पुरे विश्व की प्रथम भूमिगत लेखा जोखा व मापन प्रणाली त्यार की थी| दीवान-ए-अशरफ़ के पद पर कार्य करते हुए टोडरमल ने भूमि के सम्बन्ध में जो सुधार किए वे नि:संदेह प्रशंसनीय हैं। टोडरमल ने एक सैनिक एवं सेना नायक के रूप में भी कार्य किया.

#(4). तानसेन संगीत का सम्राट था उसे संगीत का प्रशंशक होने के कारण अकबर ने अपने नवरत्नो में शामिल किया था| मिया तानसेन के गीत की कुछ बात ही अलग थी.

अकबर उनके गीतो और रागो को बहुत मन लगाकर सुना करते थे| मिया तानसेन ने खुद भी कई रागो का निर्माण किया अकबर ने तानसेन को “खाना भरण वाणी विलास” की उपाधि दी थी.

#(5). राजा मानसिंह जयपुर के रहने वाले थे वो कछवाहा राजपूत राजा थे| मानसिंघ अकबर की सेना के सेनापति थे.

मानसिंघ की बुआ जोधाभाई अकबर की पटरानी थी मानसिंघ के साथ सम्बन्ध होने के बाद अकबर ने हिन्दुओ के साथ अपनी उदारता परिचय देते हुए जज़िया कर को समाप्त कर दिया.

#(6). अब्दुल रहीम खान-ऐ-खाना कवि थे और अकबर के दरबार के सरंक्षक थे और बेरेम खान के बेटे थे ये उच्चकोटि के विद्वान तथा कवि थे| अकबर ने गुजरात को जितने के बाद अब्दुर्रहीम खानखाना को खान-या-खाना की उपाधि दी थी.

#(7). मुल्ला दो प्याज़ा अरब का रहने वाला था वह हुमायूँ के समय भारत आया था इनका नाम अब्दुल तहँ था| अब्दुल हसन अपना अधिकांश समय किताबे पढ़ने में लगाते थे.

मुल्ला दो प्याज़ा भी अकबर के नवरत्न में से एक थे मुल्ला दो प्याज़ा ने अकबर के पुस्तकालय में किताबो को बहुत सुरक्षित ढंग से रखा हुआ था.

किताबो को जरि में लपेट कर रखा हुआ था और वो हमेशा खाने में दो प्याज अधिक खाते थे इस लिए अकबर ने इनका नाम मुल्ला दो प्याजै रख दिया था.

#(8). हकीम हुमाम अकबर का सलाहकार था और अकबर के नवरत्न में से एक था हकीम हुमाम कविता समझने के विशेषज्ञ थे हकीम अकबर के रसोई घर के प्रधान थे.

#(9). नोवा नवरत्न फैजी था यह अबुल फ़ज़ल का भाई था यह फारसी भाषा में कविता किया करते थे| फैजी राजा अकबर के बेटे को गणित की शिक्षा देते थे| यह दिन या इलाही धर्म का कट्टर समर्थक था.

जोधा अकबर का विवाह का इतिहास – अकबर की कहानी – Akbar Ki Kahani

जोधा अकबर का विवाह का इतिहास

Jodha Akbar History in Hindi : अकबार ने अपनी ताकत से भारत को मुगलो के अधीन कर लिया था उस समय अकबर और राजपूत लोग एक दूसरे के दुश्मन थे| अकबर ने भारत को पुरे तरीके से अपने अधीन करने के लिए एक रणनीति बनाई जिसमें युद्ध और समझौता शामिल था.

अकबर के पास विशाल सेना थी और वो आसानी से राज्यों पर अपना कब्जा जमा लेता था लेकिन इस सब में बहुत खून खराबा होता था और फिर अकबर ने समझौते की नीति को अपनाए जिसके तहत वह राज्यों की राजकुमारियों से विवाह करता था और इस तरीके से अकबर सम्मान के साथ सभी रियासतों से रिश्ते जोड़ लेता था.

जब अकबर का युद्ध राजा भारमल से हुआ तब अकबर ने राजा भारमल के तीनों बेटो को बंदि बना लिया था और फिर राजा भारमल ने अकबर के साथ समझौता करने का फैसला ले लिया था और इस तरह राजा भारमल की पुत्री राजकुमारी जोधा का विवाह अकबर के साथ हुआ.

विवाह होने के बाद परम्परा के हिसाब से जोधा बाई को मुस्लिम धर्म अपनाना था लेकिन जलाल उद्दीन मोहम्मद अकबर ने उन पर मुस्लिम धर्म को अपनाने के लिए कोई जोर नही दिया.

अकबर के इस स्वभाव के कारण ही जोधा भाई के मन में अकबर के लिए प्यार जागा और फिर जोधा बाई ने अकबर का परिचय हिन्दू धर्म और हिन्दू धर्म की परम्पराओ से कराया.

अकबर के मन में हिन्दू धर्म के लिए इज़्ज़त इसीलिए थी क्यूंकि अकबर का बचपन एक हिन्दू परिवार में बीता था| उनके पिता की जल्दी मृत्यु होने के कारण अकबर का बचपन हिन्दू परिवार में बीता था.

जोधा बाई अकबर को सही और गलत का रास्ता बताती थी इसीलिए अकबर की कई पत्निया होने के बाद भी अकबर को जोधा बाई सबसे प्रिय थी.

अकबर और जोधा बाई की दो संतान हुई हसन और हुसैन लेकिन ये दोनों संतान गुजर गई थी बाद में अकबर और जोधा की एक और संतान हुई जिसका नाम जहाँगीर था जिसने मुगल साम्राज्य का राजा बन भारत पर हुकूमत की|

अकबर की प्रेम कहानी के बारे में अब सब जानते है| उनकी प्रेम कहानी एक अम्र कहानी है| अकबर एक अच्छा राजा होने के साथ साथ एक अच्छा पति और अच्छा पिता भी था.

History of Akbar in Hindi Language – Akbar Ki Kahani in Hindi

तो चलिये अब मैं आपको बताता हूँ कि आखिर किस प्रकार से हुमायूँ के पुत्र अकबर ने पूरे भारत में अपने साम्राज्य की स्थापना की-

मुगल सिंहासन के लिए अपनी चढ़ाई के समय, अकबर के साम्राज्य में काबुल, कंधार, दिल्ली और पंजाब के कुछ हिस्से शामिल थे.

लेकिन, चुनार के अफगान सुल्तान मुहम्मद आदिल शाह ने भारत के सिंहासन पर डिजाइन किया था और मुगलों के खिलाफ युद्ध छेड़ने की योजना बनाई थी.

उनके हिंदू जनरल सम्राट हेमचंद्र विक्रमादित्य या हेमू ने संक्षेप में, 1556 में हुमायूँ की मौत के तुरंत बाद, आगरा और दिल्ली पर कब्जा करने के लिए अफगान सेना का नेतृत्व किया.

मुगल सेना को अपमानजनक हार का सामना करना पड़ा और वे जल्द ही अपने नेता, कमांडर तारदी बेग के साथ फरार हो गए.

मुगल सेना को हराने के पश्चात हेमू 7 अक्टूबर 1556 को सिंहासन पर चढ़ा और 350 साल के मुस्लिम साम्राज्यवाद के बाद उत्तर भारत में हिंदू शासन की स्थापना की.

तभी फिर अपने रेजिमेंट बैरम खां के निर्देश पर, अकबर ने दिल्ली में सिंहासन पर अपने अधिकारों को पुनः प्राप्त करने के इरादे की घोषणा की|

मुगल सेनाएं थानेश्वर के रास्ते पानीपत चली गई और 5 नवंबर, 1556 को हेमू की सेना का सामना किया.

वैसे तो हेमू की सेना अकबर की तुलना में आकार में बहुत बड़ी थी, जिसमें 30,000 घुड़सवार और 1500 युद्ध हाथी थे.

शुरुआत में हेमू की सेना एक बेहतर स्थिति में थी, लेकिन बैरम खान और एक अन्य जनरल अली कुली खान द्वारा रणनीति में अचानक बदलाव से दुश्मन सेना पर काबू पा लिया गया.

हेमू एक हाथी पर सवार होकर युद्ध का सामना कर रहा था, पर जब वह एक तीर से उसकी आंख पर मारा गया था और उसका हाथी चालक अपने घायल मालिक को युद्ध के मैदान से दूर ले गया था.

मुगल सैनिकों ने हेमू का पीछा किया, उसे पकड़ लिया और बैरम खान ने हेमू को मार दिया| कुछ इस तरह मुगलों की जीत को निर्णायक रूप से स्थापित किया.

बैरम खान कौन था ? मोहम्मद बैरम खान एक जाने माने वाले प्रसिद्ध योद्धा थे जो अब्दुल रहीम खानेखाना के पिता थे। (बाद में खानेखाना रहीम के पिता अकबर बने)। बैरम खान अकबर के वज़ीर थे।

अकबर के सैन्य विस्तार की नीति – Akbar History in Hindi Language

अधिकांश उत्तर और मध्य भारत पर अपने वर्चस्व को मजबूत करने के बाद, अकबर ने राजपुताना की ओर अपना ध्यान आकर्षित किया, जिसने उनके वर्चस्व के लिए एक भयानक खतरा प्रस्तुत किया.

उसने पहले ही अजमेर और नागौर पर अपना शासन स्थापित कर लिया था, 1561 में शुरू होकर, अकबर ने राजपुताना को जीतने के लिए अपनी खोज शुरू की|

उन्होंने राजपूत शासकों को अपने शासन में जमा करने के लिए कई दफा बल का प्रयोग किया और उसके साथ-साथ उन्होंने कूटनीति रणनीति भी अपनाई थी.

मेवाड़ के एक शक्तिशाली राजपूत शासक महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई, 1540 को राजस्थान के कुंभलगढ़ में महाराणा उदय सिंह द्वितीय और रानी जीवन कंवर के घर हुआ था.

1576 में, मुगल सम्राट अकबर के साथ महारणा प्रताप की हल्दीघाटी की लड़ाई लड़ी, हालाँकि यह बहुत बुरी तरह से खत्म हो गया था लेकिन महाराणा ने बहुत साहस के साथ लड़ाई लड़े.

दोस्तों मैं आपको बता दूँ कि राजपूत और मुगलों का युद्ध और उनके बीच की वो लड़ाई करीबन चार घंटे की लंबी लड़ाई थी, जिसने इतिहास बना दिया था.

Haldighati War in Hindi – हल्दीघाटी का युद्ध कब हुआ था ?

Haldighati War in Hindi

चार घंटे की लड़ाई महाराणा प्रताप और अकबर के बीच हुई थी जिसका नेतृत्व मान सिंह प्रथम ने किया था.

अकबर की सेना में 80,000 सैनिक थे जबकि महाराणा की सेना में 3,000 सैनिक शामिल थे जिनमें राजपूत, अफगान हकीम खान सूर के नेतृत्व में और भील आदिवासियों की एक छोटी टुकड़ी थी.

राजपूत के उत्साह और देशभक्ति के माध्यम से, महाराणा ने मुगल पर सीधा हमला किया और बाद में एक त्वरित हार को सामने लाने के लिए हाथियों के साथ एक हमला किया.

युद्ध के मैदान पर आने वाले मुगल सम्राट अकबर की अफवाहों ने मुगल सैनिकों में साहस की भावना पैदा की और उन्होंने महाराणा की सेना को घेर लिया और जिस समय महाराणा निश्चित रूप से मारे गए होंगे, झाल के नाइक ने महाराणा के सिर से मुकुट उतार कर रख दिया.

उसका अपना सिर महाराणा के रूप में प्रस्तुत किया और खुद को मार डाला, राणा ने एक मौके को हड़पते हुए भगवान दास के पुत्र राजा मान सिंह पर अपने भाले का निशाना बनाया लेकिन दुर्भाग्य से इसने उसके महावत के शरीर को छेद दिया.

मुगल सेना ने एक बार फिर महाराणा को घेर लिया लेकिन उनके पसंदीदा घोड़े “चीताक” ने उन्हें सफलतापूर्वक बचाव में मदद की तब तक जब तक कि उन्हें चोटें आईं, और उनकी मृत्यु नहीं हुई.

उदय सिंह के बेटे राणा प्रताप ने अकबर के सत्ता के विस्तार के लिए एक दुर्जेय प्रतिरोध किया। वे राजपूत रक्षकों के अंतिम थे और 1576 में हल्दीघाटी के युद्ध में अपने वीरतापूर्ण अंत तक लड़े.

लड़ाई का विजेता अभी भी स्पष्ट नहीं है क्योंकि मुगलों को भारी नुकसान उठाना पड़ा और महाराणा अस्वस्थ हो गए थे, बाद में महाराणा ने अपने अधिकांश राज्य पर अधिकार कर लिया.

राजपुताना पर अपनी जीत के बाद, अकबर गुजरात (1584), काबुल (1585), कश्मीर (1586-87), सिंध (1591), बंगाल (1592) और कंधार (1595) मुगल क्षेत्र के भीतर लाया.

जनरल मीर मौसम के नेतृत्व वाली मुगल सेना ने 1595 तक क्वेटा और मकरान के आसपास के बलूचिस्तान के कुछ हिस्सों पर भी विजय प्राप्त की|

1600 तक, अकबर ने बुरहानपुर, असीरगढ़ किले और खानदेश पर कब्जा कर लिया था.

अकबर की मृत्यु कैसे और कब हुई – Information About Akbar in Hindi

अकबार की सन् 1605 (27 अक्टूबर) में पेचिश के कारण मृत्यु हो गई थी और अकबर को आगरा के सिकन्दरा में दफ़नाया गया था.

जलाल उद्दीन मोहम्मद अकबर अपनी अच्छाई के लिए किसी फ़रिश्ते से कम नही थे क्यूंकि वह प्रत्येक कार्य अपनी प्रजा के हित में करते थे और उनकी प्रजा भी उनसे बहुत प्यार करती थी.

अकबर की सबसे ख़ास बात यह थी की वे अपनी प्रजा के दुःख और तकलीफ से वाकिफ़ होकर उसे पूरी तरह से दूर करने के पर्यतन करते थे.

अकबर एक बहुत अच्छा शाशक था पिता की बचपन में ही मृत्यु हो जाने के बाद भी वो इतने गुणवान और निपुण थे.

मुस्लिम धर्म के होने के बाद भी दूसरे धर्म की भी बराबर इज़्ज़त करते थे ये गुण अकबर का सबसे अहम गुण था की वे दूसरे किसी भी धर्म को बिलकुल बराबर का स्थान देते थे.

SSC Hindi Question on Mughal Emperor in Hindi – History GK Questions In Hindi Mughal Empire

1. पानीपथ का द्वितीय युद्ध कब और किसके बीच लड़ा गया ?
►-1556 ई. में अकबर और हेमू विकमादित्य के बीच ।

2. अकबर का जन्म कब और कहां हुआ ?
►-सन् 1542 ई. में हुमायूं के प्रवास के दौरान अमरकोट में राणा बीरसाल के महल में अकबर का जन्म हुआ ।

3. किसके संरक्षण में अकरब ने 1560 ई. तक शासन किया ?
►-बैरम खां

4. पानीपथ का द्वितीय युद्ध में किसकी जीत हुई ?
►-अकबर

5. अकबर ने सबसे पहले समुद्र कहां देखा ?
►-गुजरात विजय के दौरान

6. अकबर ने कौन-सा कर समाप्त कर दिया ?
►-जजिया

7. सिंहासन पर बैठते ही अकबर ने कौन सा युद्ध लड़ा और जीता ?
►-पानीपथ की दूसरी लड़ाई

8. महाराणा प्रताप कहां का राजा था ?
►-मेवाड़

9. गुजरात विजय के दौरान अकबर किन विदेशियों से मिला ?
►-पुर्तगाली

10. अकबर ने फतेहपुर सीकरी में धार्मिक परिचर्चाओं के लिए क्या बनवाया था ?
►-इबादतखाना

Conclusion – निष्कर्ष

भारत के इतिहास में अकबर को बहुत महत्व दिया गया है| अकबर एक महान राजा के नाम से अपने राज्य में जाना जाता था.

अकबर के शाशन काल के समय मुगल साम्राज्य तीन गुना अधिक बढ़ चुका था लेकिन अकबर ने कभी भी किसी पर मुस्लिम धर्म को अपनाने के लिए जोर नही दिया चाहे वे उनकी बीवी जोधा भी क्यों ना हो| अकबर हर धर्म और मज़हब को बराबर का स्थान देता था.

अकबर ने एक बहुत ही प्रभावी सेना का निर्माण किया था जो की बहुत ही सक्षम और शक्तिशाली सेना थी| सम्पूर्ण भारत के इतिहास में अकबर एक ऐसा शाशक था जो हिन्दू और मुस्लिम को एक बनाये रखने का प्रयास करता था.

अकबर को उदार शासकों में गिना जाता था क्यूंकि अकबर उदार और शांति प्रिय स्वभाव का व्यक्ति था.

अकबर भारत के प्रसिद्ध शासकों में अग्रगण्य शासक था. अकबर मुगल साम्राज्य का एकेला ऐसा सम्राट था जिसने हिन्दू और मुस्लिम लोगो में किसी नीड भाव को जन्म नहीं दिया| उसने दोनों तरह के लोगों को अपनी सामान उदारता का परिचय दिया.

आज मैने आपको अकबर का जीवन परिचय बताया बताने के लिए तो बहुत कुछ है लेकिन अगर आपको आपकी स्कूल या कॉलेज में अकबर की जीवनी लिखने को कहा जाये तो इतनी जानकारी आपके लिए बहुत है.

यहा हमने जोधा बाई का भी जिक्र किया है जो की उनके जीवन की सबसे ख़ास थी इनके बारे में भी आपको जानकारी होनी चाहिए.

उम्मीद करता हूँ की आपको जलाल उद्दीन मोहम्मद अकबर की कहानी पढ़कर अच्छा लगा होगा|

आपको अकबर का कहानी कैसा लगा हमको कमेंट करके अवश्य बताये| अगर आप इनके बारे में कुछ जानते हो और अगर वो बात हमारे इस लेख में नही है तो आप अपनी बात भी कमेंट के माध्यम से सभी छात्रों के साथ शेयर कर सकते हो.

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अन्य जीवन परिचय ⇓

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3 Comments

  1. bhai abhi google adsense me notice aaya hai usme kuya karna h……notice kuch aisa h..

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    action me karna h ya dismiss karna h..?

  2. अकबर का जीवन और इतिहास बताने के लिए धन्यवाद बड़े ही कम शब्दों में पूरी बात क्रमिक रूप से बता दी।

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