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मकर संक्रांति 2021

मकर संक्रांति के दिन भूलकर भी न करें ये 4 काम वरना आपके जीवन में हो सकती है समस्या

हिन्दू पंचांग के अनुसार पौष मास के शुक्ल पक्ष में मकर संक्रांति 2021 का पर्व मनाया जाता है। ज्योतिष के अनुसार इस दिन सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते है जिसे बहुत ही शुभ माना जाता है इसलिए इस दिन मकर संक्रांति का त्यौहार मनाया जाता है।

ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान भास्कर अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उनके घर जाते है। शनिदेव मकर राशि के स्वामी है। अत: इस दिन को मकर संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है। कुछ ही दिनों पहले जनवरी की शुरुआत में पूरी दुनिया नव वर्ष का स्वागत कर रही थी और इसके बाद साल का पहला त्यौहार मकर संक्रांति आता है इसलिए इस त्यौहार का महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है। आज मैं आपको बताऊंगा 4 ऐसे काम जो इस दिन आपको नहीं करने चाहिए जो इस प्रकार है:-

मकर संक्रांति 2021 के दिन भूलकर भी न करें ये काम

मकर संक्रांति के दिन भूलकर भी न करे ये 4 काम वरना आपके जीवन में हो सकती है प्रॉब्लम

Don’t do these things on Makar Sankranti in Hindi

  1. मकर संक्रांति के दिन आपको किसी भी प्रकार का नशा नहीं करना है। शराब, सिगरेट, गुटखा आदि जैसे सेवन से आपको बचना है। नशा करने से आपका जीवन दुर्भाग्य की और जाता है और इतना ही नहीं यह सब सेवन करने से आपका शरीर खराब हो सकता है।
  2. इस दिन हम सभी को साधा भोजन करना चाहिए। इस दिन हमें लहसुन, प्याज और मांसाहार का प्रयोग नहीं करना चाहिए। इस दिन तिल, गुड़, मूंग दाल की खिचड़ी इत्यादि का सेवन करना चाहिए और इन सब चीजों का यथाशक्ति दान करना चाहिए।
  3. मकर संक्रांति के दिन अगर आपके द्वार पर कोई बाबा, भिखारी या कोई बुजुर्ग आये तो उसे इस दिन खली हाथ न जाने दे। इस दिन किया गया दान महा-दान कहा जाता है।
  4. इस दिन हर किसी को स्नान करना चाहिए, मान्यता है कि इस दिन गंगा का स्नान या किसी नदी में जाकर स्नान करते है तो इसका पूर्ण हजार गुन्हे बढ जाता है। ऐसी भी मान्यता है कि इस दिन कोई भी पशु, पक्षी बिना स्नान के नहीं रहते है। पशु पक्षी भी स्नान करते है इसलिए हम सभी को भी स्नान जरूर करना चाहिए।

क्या आपको पता है?

क्या आप जानते है कि अलग-अलग जगह पर इस त्यौहार को अलग-अलग नाम से बोलते है ? अगर आपको पता है तो अच्छी बात है पर अगर आपको नहीं पता तो में आपको बता देता हूँ। दक्षिण भारत में इस त्यौहार को पोंगल के रूप में मनाया जाता है, उतर भारत में लोहड़ी कहा जाता है, मध्य भारत में इसे संक्रांति कहा जाता है।

बिहार में मकर संक्रांति कैसे मनाई जाती है?

बिहार में मकर संक्रांति के पर्व को खिचड़ी पर्व के नाम से मनाया जाता है। इस पर्व के मौके पर सुबह से ही लोग गंगा स्नान के लिए घर से निकल पड़ते हैं, और सुबह श्रद्धालु डुबकी लगाकर दान पुण्य करके, भगवान का आशीर्वाद लेकर घर की ओर प्रस्थान करते हैं। सदियों से लोगों के बीच मान्यता है कि इस मौके पर उड़द की दाल, चावल, तिल, खटाई इत्यादि को दान करना शुभ होता है। इसलिए जो लोग गंगा स्नान करते हैं और तिल का दान करते हैं भगवान उनके सारे पापों को हर लेते हैं। साथ ही इस पर्व पर बिहार में कुछ स्वादिष्ट व्यंजन भी बनते हैं। लोगों द्वारा चूड़ा दही तथा तिलकुट खाया जाता है। तिल खाना और दान करना यह दोनों ही इस मौके पर पुण्य माने जाते हैं।


कुमाऊं में मकर संक्रांति के पर्व को क्या कहा जाता है?

मकर संक्रांति का पर्व उत्तराखंड राज्य के कुमाऊं भाग में “घुघुतिया के त्यार” के रूप में जाना जाता है। इस मौके पर व्यंजन के तौर पर आटे से तैयार किए गए घुघुत बनाए जाते हैं। और बच्चों द्वारा पर्व की सुबह प्रसाद के तौर पर कौवों को घुघुत खिलाने के लिए बुलाया जाता है। बच्चों द्वारा कौवों को बुलाने के लिए “काले कौवा काले घुघूती माला खा ले” शब्द कहे जाते है।


गुजरात में किसके बिना अधूरा है मकर संक्रांति का त्यौहार?

मकर संक्रांति के पर्व के मौके पर देश के विभिन्न राज्यों में जहां गंगा स्नान किया जाता है, दान पुण्य किया जाता है एवं स्वादिष्ट पकवान बनाए जाते हैं। वहीं इन कार्यों के साथ-साथ गुजरात में इस पर्व पर पतंगबाजी सबसे ज्यादा देखने को मिलती हैं।

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गुजरात के घर घर में माहौल 15 अगस्त जैसा ही होता है। क्योंकि बच्चे हों या बड़े सभी अपने घर की छतों से पतंग उड़ाते हैं। मजे की बात यह है कि न सिर्फ पुरुष बल्कि महिलाएं भी इस पतंगबाजी के खेल में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेती हैं। सुबह से पतंग उड़ाने का यह कार्यक्रम सूर्य ढलने तक चलता रहता है और संक्रांति पर्व की रात में भी कैंडल पतंग तारों के बीच उड़ती हुई सभी को मकर संक्रांति की शुभकामनाएं देती हैं।

हर साल मकर संक्रांति के मौके पर पतंगों से गुजरात में करोड़ों का बिजनेस होता है। इसलिए कहा जाता है बिना पतंग के गुजरात में यह त्योहार अधूरा होता है।


14 तारीख को मकर संक्रांति का पर्व क्यों मनाया जाता है?

हर साल इस पर्व के मौके पर सार्वजनिक रूप से अवकाश होता है। ऐसे में आपके मन में यह प्रश्न होगा कि 14 जनवरी को ऐसा क्या होता है? तो बता दें जनवरी मास को पौष का महीना कहा जाता है। इस दिन सूर्य देव धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं। और क्योंकि मकर राशि के स्वामी शनिदेव हैं। जिनके पिता सूर्यदेव हैं अतः मान्यता है इस दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनिदेव से भेंट करने आते हैं इसलिए यह पर्व पूरे भारत में विभिन्न रीति-रिवाजों से अलग-अलग नामों के साथ मनाया जाता है।

किसी वर्ष में 15 जनवरी को भी मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है, तो उसके पीछे कारण है। सूर्य का मकर राशि में 1 दिन बाद प्रवेश करना। जिस वजह से 14 नहीं किसी-किसी साल 15 जनवरी को हम मकर संक्रांति मनाते हैं। जैसा कि वर्ष 2020 में 15 जनवरी को ही मकर संक्रांति मनाई गई थी।


मकर संक्रांति का महत्व: Importance of Makar Sankranti in Hindi

सभी देशवासियों के लिए इस पर्व के मायने बेहद खास है क्योंकि यह साल का पहला पर्व होता है। इसे मांगलिक पर्व भी कहा जाता है। क्योंकि मकर राशि में प्रवेश करके सूर्य के उत्तरायण होने के साथ इस दिन के बाद से मांगलिक कार्यों की शुरुआत की जाती है। इस त्यौहार को देश के विभिन्न राज्यों में आज भी पारंपरिक अंदाज में मनाया जाता है। इस मौके पर गंगा स्नान करना बेहद शुभ माना जाता है इसलिए हरिद्वार, काशी इत्यादि तीर्थ स्थानों पर गंगा स्नान हेतु श्रद्धालुओं की बड़ी भीड़ उमड़ी होती है।

शास्त्रों के अनुसार मकर संक्रांति के मौके पर गंगा स्नान करने और दान पुण्य करने से सारे पाप धुल जाते हैं। इसलिए इस मौके पर व्यक्ति अपनी स्वेच्छा से जितना संभव हो सके गरीबों को दान करने की कोशिश करता है। इस दिन तिल से बने पदार्थ जैसे तिल के लड्डू व गुड़ इत्यादि का दान करना धार्मिक दृष्टि से शुभ माना जाता है।

इस पर्व से अनेक पौराणिक कथाएं भी जुड़ी हुई हैं जिनमें से एक मान्यता के अनुसार मकर संक्रांति के दिन ही भगवान विष्णु को भगवान आशुतोष के द्वारा आत्म ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। साथ ही महाभारत के वीर एवं महान योद्धाओं में से एक भीष्म पितामह ने मकर संक्रांति के दिन ही अपनी देह त्यागी थी। माना जाता है उत्तरायण के दिन मृत्यु होने पर व्यक्ति को बार-बार इस पृथ्वी में होने वाले जन्म मरण (पुनर्जन्म) से छुटकारा मिल जाता है। इसके अलावा देश के सभी राज्यों में यह पर्व मनाया जाता है और इस पर्व के मौके पर खास व्यंजन भी पकाए जाते हैं।


तो दोस्तों ये थी वह बातें जिनका ध्यान रखकर आप भगवान सूर्य देव की कृपा पा सकते है। सूर्य देव जिनपर प्रसन्न होते है उन्हें घन-धान्य, पत्र, यश, कीर्ति, समृद्धि और आरोग्य का आशीर्वाद प्रदान करते है। सूर्य देव आपके पूरे परिवार को सुख-समृद्धि और आरोग्य का वरदान दे, इसी आशा के साथ हिमांशु ग्रेवाल की ओर से आप सभी को हैप्पी मकर संक्रांति 2021

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