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The Story Behind Ganesh Chaturthi Hindi

गणेश चतुर्थी की पौराणिक कथा, व्रत, महत्व, शुभ मुहूर्त

🙏 ॐ गन गणपतए नमो नमः 🙏

गणेश चतुर्थी की पौराणिक कथा

गणेश चतुर्थी 2021: एक बार श्री गणेश जी का जन्मदिन था उन्हें एक भक्त के घर रात में भोजन के लिए बुलाया गया। भगवान गणेश जी ने काफी भोजन खाया। वह चूहे पर बैठ कर वापस लौट रहे थे तभी अचानक एक सांप ने उनका रास्ता काट दिया। सांप को देखकर चूहा डर गया और वहां से भाग गया और गणेश जी नीचे गिर गए। जब गणेश जी नीचे गिरे तो उनका भोजन से भरा हुआ पेट फट गया यह देखकर चाँद जोर-जोर से हंसने लगा।

गणेश जी को बहुत अपमान महसूस हुआ और गुस्से में उन्होंने सांप को मार दिया और अपने पेट के चारों तरफ से बांध लिया और इसके बाद उन्होंने चाँद का पीछा किया। चाँद अपनी जान बचाने के लिए भागा और गणेश जी से बचने में सफल हो गया। वह अपने महल में जाकर छुप गया।

गणेश जी जल्दी ही वहां पहुँच गये और महल के बाहर चौकीदारी के लिए खड़े हो गये और बोले अब तुम कहाँ जाओगे, अभी नहीं तो कभी तो बाहर आओगे और तब मैं तुमसे बदला लूँगा।

बहुत अंधेरा हो गया पर चाँद बाहर नहीं आया। इससे धरती लोक में उथल-पुथल मच गई। सभी देवता गणेश जी के पास गये और चाँद को माफ करने के लिए कहने लगे। किसी तरह गणेश जी मान गये और उन्होंने चाँद को बाहर आने दिया लेकिन चाँद को श्राप देते हुए कहा तुम एक चोर की तरह घर में छिपे हो इसलिए कोई भी यदि तुम्हें मेरे जन्मदिन पर देखेगा तो उस पर चोरी का इल्जाम लगेगा। इसी कारण लोग गणेश चतुर्थी के दिन चांद को नहीं देखते। इसी कारण भगवान श्री कृष्ण पर स्यामन्तक हीरा चुराने का इल्जाम लगा था।

गणेश चतुर्थी की कहानी सुनाओ

गणेश चतुर्थी की कहानी
गणेश चतुर्थी की कथा

Ganesh Chaturthi Story in Hindi

एक बार महादेव जी माता पार्वती सहित नर्मदा के तट पर गये। वहां एक सुन्दर स्थान में माता पार्वती ने महादेव जी से चौपड़ खेलने की इच्छा व्यक्त की तब शिव जी ने कहां हमारी हार-जीत का साक्षी कौन होगा? तभी पार्वती जी ने घास के कुछ तिनके बटोर कर एक घास का पुतला बनाया और उसमें प्राण प्रतिष्ठा करके उसे कहां की बेटा हम चौपड़ खेलना चाहते है किन्तु यहाँ पर हार जीत का साक्षी कोई नहीं है। अतः खेल के अंत में तुम हमें हार – जीत का साक्षी होकर बताना की हम में से कौन जीता और कौन हारा।

खेल आरंभ हुआ और देव योग से तीनों बार माता पार्वती जी ही जीती। जब बालक से पूछा गया तो उन्होंने शिव जी को विजय बताया। परिणाम स्वरूप पार्वती जी ने क्रोधित होकर उसे पांव से लंगड़ा होने और वहां के कीचड़ में रहकर दुःख भोगने का श्राप दिया। बालक ने विनम्र भाव से कहा माँ मुझसे अज्ञानवश ऐसा हो गया है। मैंने किसी कुटिलता के कारण ऐसा नहीं किया है मुझे माफ करें और श्राप से मुक्ति का उपाय बताये।

तब ममता रूपी माँ को उस पर दया आ गई और कहा यहां नाग कन्या गणेश पूजन करने आयेंगी उनके उपदेश से गणेश व्रत करके तुम मुझे प्राप्त करोगे। इतना कहकर वह कैलास पर्वत चली गई।

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एक वर्ष बाद श्रावण में वहां नाग कन्या गणेश जी की पूजन करने आई। नाग कन्या ने गणेश पूजन करके उस बालक को भी पूजा की विधि बताई उसके बाद बालक ने 21 दिन तक गणेश व्रत करके गणेश जी का पूजन किया। तब गणेश जी ने उसे दर्शन देकर कहां मैं तुम्हारे व्रत से प्रसन्न हूँ मनोवांछित वर मांगो। तब बालक बोला हे भगवान मेरे पैरों में इतनी शक्ति दे दो कि मैं कैलाश पर्वत अपने माता पिता के पास पहुँच सकू और वह मुझ पर प्रसन्न हो जाये। गणेश जी तथास्तु कह कर अंतर्ध्यान हो गये।

बालक भगवान शिव के चरणों में पहुंच गया। शिवजी ने उससे यहाँ तक आने के साधन के बारे में पूछा तब बालक ने सारी कथा शिव जी को सुना दी। उधर उसी दिन पार्वती जी शिव जी से अप्रसन्न होकर विमुख हो गई इसके बाद शिव जी ने बालक की तरह 21 दिन का व्रत किया जिसके प्रभाव से पार्वती जी के मन में स्वतः ही शिव जी से मिलने की इच्छा जागृत हुई।

वह शीघ्र ही कैलाश पर्वत पर आ पहुंची यहाँ पहुंच कर पार्वती जी ने शिवजी से पूछा ‘हे भगवान आपने ऐसा कौन सा उपाय किया जिसके प्रभाव से मैं आपके पास भागी – भागी आ गई’?.

शिवजी ने गणेश जी का इतिहास उन से कहकर सुनाया तब पार्वती जी ने अपने पुत्र कार्तिकेय जी से मिलने की इच्छा से 21 दिन तक 21 – 21 की संख्या में दूर्वा, पुष्प और लड्ड़ूओ से गणेश जी का पूजन किया। कार्तिकेय जी ने भी यही व्रत विश्वामित्र जी को बताया, विश्वामित्र जी ने व्रत करके गणेश जी से जन्म से मुक्त होकर ब्रह्मर्षि होने का वर मांगा। गणेश जी ने उनकी मनोकामना पूरी की ऐसे है श्री गणेश जी सबकी मनोकामना पूरी करते है।

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गणेश चतुर्थी पर निबंध: Essay on Ganesh Chaturthi in Hindi

प्रस्तावना

भारत में गणेश चतुर्थी के त्योहार को बड़े ही जोरों शोरों से मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी हमारे हिंदू कैलेंडर का पहला पर्व होता है। गणेश चतुर्थी के बाद ही सभी पर्व शुरू होते हैं। लोग गणेश चतुर्थी के त्योहार को बड़े ही उत्साह और प्यार से मनाते हैं। गणेश चतुर्थी को भव्य रूप से महाराष्ट्र में मनाया जाता है। इस त्यौहार के आते ही बाजार में अलग ही रौनक दिखाई देती हैं। गणेश चतुर्थी का त्योहार हर साल अगस्त या सितंबर के महीने में मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी को गणेश जी के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है।

ज्ञान और समृद्धि के दाता गणेश जी की पूजा घर घर में की जाती है। केवल घरों में ही नहीं बहुत से विद्यालय, विश्वविद्यालय, कार्यालयों में भी इस त्यौहार को मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी के त्योहार का इंतजार लोग सालों से करते हैं। यह भी मान्यता है कि गणेश चतुर्थी के दिन विघ्नहर्ता की पूजा करने से घर के हर विघ्न दूर हो जाते हैं।

गणेश जी की मूर्ति स्थापना

हिंदुओं द्वारा मनाए जाने वाले त्योहारों में गणेश चतुर्थी का त्योहार काफी लंबा होता है और इस त्यौहार को 10 दिनों तक मनाया जाता हैं। गणेश चतुर्थी के त्योहार की शुरुआत गणेश जी के मूर्ति स्थापना से होती है और गणेश चतुर्थी त्योहार का समापन गणेश जी के विसर्जन के साथ होता है। 10 दिनों तक गणेश जी को घर में रखकर बड़े ही प्यार और उत्साह के साथ उनकी पूजा की जाती है। उन्हें फल फूल और मोदक के भोग लगाए जाते हैं। इन दिनों वातावरण में भक्ति का रंग छाया रहता है।

निष्कर्ष

गणेश चतुर्थी के अवसर पर सुबह शाम गणेश जी की आरती करके लड्डू और मोदक के भोग लगाकर उन्हें प्रसन्न किया जाता है। महाराष्ट्र में गणेश जी की बड़ी-बड़ी मूर्तियां होती है।


गणेश चतुर्थी का क्या महत्व है?

गणेश चतुर्थी के दिन शिव पुत्र गणेश के जन्म दिवस को मनाया जाता है। गणेश जी जिन्हें विघ्नहर्ता के नाम से पुकारा जाता है। गणेश चतुर्थी के समय उन्हें लोग अपने घरों में लाते हैं और उनका पूजन करते हैं। गणेश चतुर्थी के दिन गणेश जी की पूजा करने से लोगों के विघ्नों का नाश होता है। भाद्रपद महीने के चतुर्थी के दिन बाल गणेश का जन्म हुआ था इसलिए इसी दिन गणेश जी की पूजा की जाती है।

गणेश चतुर्थी के दिन को कई स्थानों पर विनायक चतुर्थी 2021 के नाम से पुकारा जाता है। कई जगहों पर वरद विनायक चतुर्थी (Varad Chaturthi 2021) के नाम से बुलाया जाता है। बहुत से लोग सुख और समृद्धि प्राप्त करने के लिए भी गणेश चतुर्थी के दिन गणेश जी की आराधना करते हैं और पूरे रीति-रिवाजों के साथ उनकी मूर्ति घर लाकर उनकी पूजा करते हैं। गणेश चतुर्थी के दिन व्रत रखकर जो व्यक्ति गणेश जी की पूजा करते हैं उनकी सभी समस्या दूर हो जाती है।


गणेश चतुर्थी कितने दिन की होती है?

अगर हम प्राचीन मान्यताओं की बात करें तो उनके अनुसार गणेश चतुर्थी यानी कि गणेश उत्सव 10 दिनों तक मनाया जाता है। लेकिन बहुत से लोग अपनी सुविधा के अनुसार गणेश उत्सव को कुछ नियमित दिनों तक ही मनाते हैं। बहुत से लोग गणेश उत्सव को सिर्फ 2 दिन तक मनाते हैं। गणेश उत्सव को मनाते समय भक्तों के मन में असीम शांति रहती है। जैसा कि हमने आपको बताया कि महाराष्ट्र में इस उत्सव को धूमधाम से मनाया जाता है इसीलिए महाराष्ट्र में गणेश उत्सव को 10 दिनों तक मनाया जाता है। मुंबई में जिस तरह की रौनक इन दिनों देखने को मिलती है वह कहीं और कभी देखने को नहीं मिलती है।


गणेश चतुर्थी क्यों मनाई जाती है?

हर साल गणेश चतुर्थी का त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इसलिए कई बार लोगों के मन में यह प्रश्न आता है कि आखिर गणेश चतुर्थी क्यों मनाई जाती है! अलग-अलग लोग गणेश चतुर्थी के त्योहार को अलग-अलग कारणों से मनाते हैं।

कुछ लोग बप्पा को अपना दोस्त मान कर उनकी पूजा करते हैं तो कोई उन्हें विघ्नहर्ता के रूप में पूजा करके अपने विघ्नों को दूर करने की प्रार्थना करते हैं और वहीं कुछ लोग सुख समृद्धि प्राप्त करने की इच्छा में गणेश जी की पूजा करते हैं। गणेश जी जो ज्ञान, बुद्धि, समृद्धि, सुख के दाता है। उनकी पूजा करते लोग अच्छे जीवन की कामना करते हैं।


क्यों गणेश चतुर्थी 10 दिनों के लिए मनाया जाता है? ‌

भारत में जिस तरह से गणेश चतुर्थी मनाया जाता है वैसा कहीं और देखने को नहीं मिलता है। गणेश चतुर्थी के समय रास्तों पर गणेश पंडाल बनाए जाते हैं और वहां मोती लाकर उनकी पूजा की जाती है घरों में मूर्ति लाकर उनकी पूजा की जाती है। गणेश चतुर्थी के समय 10 दिनों तक गणेश जी की पूजा करने के पीछे एक बहुत ही साधारण कारण है कि लोग बाल गणेश को अपने साथ रखना चाहते हैं और उनकी सेवा करना चाहते हैं इसीलिए 10 दिनों तक गणेश जी को अपने पास रख कर लो उनकी पूजा करते हैं।


मेरे प्यारे गणेश भक्त। यह तो थी थोड़ी बहुत जानकारी गणेश चतुर्थी के बारे में, अगर आप भगवान गणेश जी के बारे में थोड़े बहुत शब्द बोलना चाहते हो तो आप कमेंट के माध्यम से हमारे साथ अपनी बाते शेयर कर सकते हो और हाँ अगर आपको यह लेख पसंद आया हो तो इस लेख को सोशल मीडिया पर शेयर अवश्य करें।

– गणेश चतुर्थी की पौराणिक कथा

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