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Hazrat Ali Jayanti
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अली इब्न अबी तालिब हजरत अली की जीवनी

Hazrat Ali Jayanti 2021: हर साल हजरत अली का जन्मदिन मुस्लिम समुदाय द्वारा बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है परंतु क्या आप जानते है हजरत अली को पहला मुस्लिम वैज्ञानिक भी कहा जाता है। जी हां, हजरत अली को पूरा विश्व मानव कल्याण हेतु उनके शुद्ध विचारों के लिए जानता है। वे सदैव शांति और पैगाम का संदेश लोगों को देते थे। लेकिन इसके साथ साथ माना जाता है, समाज में वे लोगों को विज्ञान से जुड़ी अनेक रोचक और उपयोगी जानकारियां देते थे। आज हम आपके साथ इस लेख में मुस्लिम समुदाय के चौथे खलीफा के रूप में प्रसिद्ध हजरत अली के जीवन से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां साझा कर रहे हैं। यहां आपको अली इब्न अबी तालिब की जीवनी और उनसे जुड़ी कुछ उपयोगी जानकारियां मिलेंगी।

About Hazrat Ali Jayanti in Hindi

पूरा नाम अली इब्न अबी तालिब
अरबी में नाम علي ابن أبي طالب
जनजाति क़ुरैश (बनू हाशिम)
धर्म (610 में) इस्लाम
जन्म
15 सितम्बर 601 (13 रजब 21 हिजरी पूर्व in the ancient Arabic calendar)
जन्मस्थान
काबा, मक्का, हिजाज़, अरब महाद्वीप
निधन
29 जनवरी 661 (21 रमज़ान AH 40) (आयु 59)
मृत्युस्थान कूफ़ा, इराक़, राशिदूँ साम्राज्य
समाधि
इमाम अली मस्जिद, नजफ़, इराक़
पत्नियां
फ़ातिमा, उम्मह बिन्त ज़ैनब, उम्म उल-बनीन, लैला बिन्त मसऊद, Asma bint Umays, Khawlah bint Ja’far, Al Sahba’ bint Rabi’ah
अली की संतान
अल-हसन, अल-हुसैन, ज़ैनब, उम्म कुलसुम, मोहसिन, मुहम्मद, अब्बास, अब्दुल्ला, हिलाल, मुहम्मद इब्न अबी बक्र (दत्त पुत्र)
पिता अबू तालिब इब्न अब्दुल मुत्तलिब
माता फ़ातिमा बिन्त असद

राशिदून खलीफा के 4 वें खलीफा (सुन्नी दृष्टिकोण)

शासनावधि 656–661
पूर्ववर्ती उस्मान बिन अफ़्फ़ान
उत्तरवर्ती हसन इब्न अली

शिया इस्लाम के अनुसार पहले इमाम (इस्ना अशरी, ज़ैदी, और निजारी इस्माइली दृष्टिकोण)

Reign 632–661
उत्तरवर्ती हसन इब्न अली (2nd Imam)

Asās/Wāsih of Shia Islam

उत्तरवर्ती इब्न अली (1st Imam)

Hazrat Ali Biography in Hindi

Hazrat Ali

अली इब्न अबी तालिब हजरत अली का जीवन परिचय

अल्लाह के पैगंबर मोहम्मद साहब के बाद हज़रत अली सुन्नी मुस्लिमों के चौथे खलीफा व शिया समुदाय के पहले खलीफा माने जाते हैं। साथ ही हज़रत अली को इस्लाम धर्म का सफल नेतृत्व के लिए भी जाना जाता है। यह वह शख्स है, जिसका तवाफ़ पूरी दुनिया के मुसलमान करते हैं। हज़रत अली मक्का शरीफ में पैदा होने वाले पहले इंसान थे।

हज़रत अली को अली इब्ने, अबी तालिब के नाम से भी जाना जाता है। पैगंबर हज़रत अली का जन्म 17 मार्च 600 ई० में, मुसलमानों के कैलेंडर के अनुसार 13 रज्जब 24 हिजरी पूर्व मुसलमानों के सबसे पाक तीर्थ स्थल काबा के अंदर हुआ था। हजरत अली पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के चचाजाद भाई और दामाद थे। हज़रत अली को इस्लाम धर्म के एक महान प्रवर्तक के रूप में भी जाना जाता है। हज़रत अली इस्लाम धर्म के पहले ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने विज्ञान के तरफ एक अलग दृष्टिकोण दिखाया था।

हज़रत अली अबू तालिब और फ़ातिमा बिन असद के संतान थे। हज़रत अली मक्का के पाक स्थल में पैदा होने वाले पहले व्यक्ति थे। बहुत से लेखकों के अनुसार नबी हजरत अली पहले मुसलमान थे। हजरत अली ने सदैव हज़रत मुहम्मद साहब को संरक्षित किया और मुस्लिम समुदाय से लड़ी जाने वाली हर एक लड़ाई में उन्होंने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। खलीफा उस्मान इब्न अफ़ान की हत्या हो जाने के बाद मोहम्मद हज़रत अली को खलीफा घोषित किया गया। हज़रत अली राजनीतिक और आध्यात्मिक दोनों ही रूपों से शिया और सुन्नी मुसलमानों के लिए महत्वपूर्ण है। कुरान और सुन्नत के अनुसार मोहम्मद हजरत अली एक शासक थे वे एक पवित्र मुस्लिम थे।

अली 5 वर्ष की उम्र से ही नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम और उनकी पत्नी खदीजा के साथ रहते थे। जब हज़रत अली 9 वर्ष के हुए तब उन्होंने स्वयं को इस्लाम के पैगंबर के रूप में घोषित कर दिया और इस्लाम को स्वीकार करके, इस्लाम को कुबूल करने वाले पहले बच्चे बन गए क्योंकि नवी की पत्नी खदीजा ने सर्वप्रथम इस्लाम को कबूल किया था। हज़रत अली ने अपना प्रारंभिक जीवन मक्का के पाक स्थान पर बिताया। अली जब बड़े हुए तब नबी हजरत सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अली से कहा कि अल्लाह ने उन्हें कहा हैं कि उन्हें अपनी बेटी फ़ातिमा की शादी अली से करनी है। फिर अली और फातिमा की शादी हो गई। अली और फातिमा के शुरुआती दिन गरीबी में बीते लेकिन समय के साथ उनकी स्थिति सही हो गई।

हजरत केवल धार्मिक और राजनीतिक कार्यों में ही अच्छे नहीं थे बल्कि वे एक बहुत अच्छे सैनिक भी थे। इस्लाम के पक्ष में लड़े जाने वाले हर लड़ाई में अली ने अपनी काबिलियत को दर्शाया हैं। 624 में हुए बद्र की लड़ाई हजरत अली ने पहली बार योद्धा के रूप में खुद को प्रतिष्ठित किया था। एक लड़ाई में उमा याद चैंपियन वालिद इब्न उट्टा को हराने के बाद अली ने लड़ाई शुरू की, अली के इस उद्घाटन जीत को बहुत से इतिहास कारों ने इस्लाम की जीत का संकेत का नाम दिया हैं, जो बहुत सम्मान की बात हैं।

यहूदियों के साथ हुई लड़ाई में मोहम्मद अली प्रमुख थे इतना ही नहीं ज़ुल्फ़िकार नामक तलवार की रक्षा करने के लिए अली ने कई लड़ाइयों में अपने कौशल को दिखाया। हज़रत अली ने मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की रक्षा करने में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। इस्लाम धर्म की स्थापना करने में भी हज़रत अली ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 630 में हुए मक्का विजय में हज़रत अली ने अपने सैन्य बल का प्रदर्शन किया। 656 से 661 के समय काल के दौरान हज़रत अली खलीफा बन गए जो इस्लाम का सबसे कठिन अवधि में से माना जाता हैं।

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अली ने भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए और समतावादी नीतियाँ फैलाने का विरोध किया। ऊंट की लड़ाई के अली एक व्यापक गठबंधन बनाने में सफल रहा। ऐसा माना जाता हैं कि 19वें रमजान के बाद एएच 40 पर 27 जनवरी 661 में खारीजाइट अब्द-अल-रहमान इब्न मुलजम ने हज़रत अली पर हमला कर दिया जब वे कुफा के महान मस्जिद में प्रार्थना कर रहे थे। इस हमले में अली घायल हो गए थे लेकिन अंतिम समय में भी अली ने अपने कातिल को माफ करने की दुआ की और अल्लाह से माफी मांगी और अपने बेटे को उस कातिल को मारने से रोका। हमले के दो दिन बाद 29 जनवरी 661 21वे रमजान एएच 40 के दिन अली की मृत्यु हो गई। कुरान शरीफ के दो चैप्टर में हज़रत अली के बारे में विस्तार पूर्वक बताया गया है।

Mecca Sharif
Mecca Sharif

Hazrat Imam Ali Ibn Abi Talib Inspirational History & Documentary in Hindi

हज़रत अली की अम्मी जान का क्या नाम था?

मक्का शरीफ में पैदा होने वाले पहले व्यक्ति हज़रत अली की अम्मी जान का नाम फ़ातिमा बिन्त असद था।


हजरत अली की कितनी बीवी थी?

जैसा कि हम सब जानते है, मुसलमानों में बहु विवाह का प्रचलन है। पैगंबर हज़रत अली की 7 बीवी थी।


हज़रत अली की बीवी का नाम क्या था?

हज़रत अली की बीवी का नाम फ़ातिमा, उम्मह बिन्त ज़ैनब, उम्म उल-बनीन, लैला बिन्त मसऊद, Asma bint Umays, Khawlah bint Ja’far, Al Sahba’ bint Rabi’ah था। इन सभी बीवियों में सबसे मशहूर बीवी पैगंबर मोहम्मद सल्लल्लाहु वसल्लम की बेटी हज़रत फ़ातिमा बेगम थी।


हज़रत अली की पैदाइश कैसे हुई थी?

हज़रत अली की पैदाइश के ऊपर एक बहुत ही मशहूर क़िस्सा है। लोग ऐसा मानते हैं कि जब हजरत अली हमारी दुनिया में तशरीफ़ लाने वाले थे, उनकी अम्मीजान फ़ातिमा बिन्त असद मक्का में काबा की तरफ “ऐ अल्लाह मुझे तुझ पर और तेरे नबी (हज़रत इब्राहिम) पर पूरा यकीन है, जिन्होंने तेरी मर्ज़ी से इस पाक जगह (काबा) की नींव रखी थी।” तुझे उस नबी की कसम है और साथ ही मेरे गर्भ में पल रहे बच्चे की कसम है कि तू मेरे प्रसव को आसान और आरामदायक बना दे यह कहते हुए फ़ातिमा काबा की ओर बढ़ रही थी। जैसे ही फ़ातिमा काबा के दरवाजे पर पहुंची वहां ताला लगा हुआ था। लेकिन फ़ातिमा के पहुंचते ही काबा का दरवाजा अपने आप खुल गया। फ़ातिमा उसका काबे के अंदर दाखिल हो गई। फ़ातिमा के काबे में दाखिल होने के बाद काबा का दरवाजा आपस में जुड़ने लगा और जब फ़ातिमा काबा से बाहर आए तब उनके गोद में एक प्यारा सा बच्चा था। इस तरह हमारे पैगंबर मोहम्मद हजरत अली ने इस दुनिया में कदम रखा।


हजरत अली का जन्मदिन

इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार हजरत अली का जन्मदिन वर्ष 2021 में 22 फरवरी को मनाया जाएगा। हर साल हजरत अली का जन्मदिन बड़े ही उत्साह और धूमधाम के साथ विश्व के विभिन्न देश में मनाया जाता है। भारत में भी इस विशेष दिन के मौके पर मुस्लिम धर्म के शिया समुदाय द्वारा विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इस खास दिन पर इमामबाड़ा और मस्जिदों को खूब सजाया जाता है, विभिन्न प्रकार के धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। कुछ कुछ शहरों में इस दिन के मौके पर जुलूस भी निकाले जाते हैं।


Hazrat Ali Birthday क्यों मनाया जाता है?

बता दें हजरत अली का जन्मदिन मनाने की यह परंपरा काफी समय से चली आ रही है। माना जाता है हजरत अली मुस्लिम समुदाय के पहले व्यक्ति थे जिन्होंने इस्लाम धर्म स्वीकार किया था। उदार, दयालु किस्म के व्यक्ति होने के साथ-साथ हजरत अली दृढ़ संकल्प भी थे, लोगों की सेवा करना, उन्हें सही राह दिखाना उनका परम कर्तव्य था। इसलिए इस्लामिक समुदाय उन्हें बेहद आदर की दृष्टि से देखता था। और जब उन्हें इस्लाम धर्म के चौथे खलीफा की उपाधि मिली, तो उन्होंने प्रजा के लिए अनेक सामाजिक कार्य कर उनके दिलों में अपना विशेष स्थान बनाया। और किसी कारणवश उनके जन्मदिवस को यादगार बनाने और उनके प्रति सम्मान व्यक्त करने हेतु उनके जन्मदिन को मुस्लिम समुदाय हर साल धूमधाम से मनाने लगा। और आज भी यह परंपरा यूं ही चली आ रही है।


हजरत अली के सुविचार

अपने महान विचारों से लोगों के दिलों में बसने वाले हजरत अली के कुछ प्रेरणादाई विचार हम आपके साथ साझा कर रहे हैं।


हज़रत अली के अनमोल वचन

तुम कुछ बुरा करो और जमाना तुम्हें अच्छा समझे इससे बेहतर यह है कि तुम अच्छा करो चाहे जमाना तुम्हें बुरा समझे..


Famous Quotes By Hazrat Ali In Hindi

गुस्से के हालात में कभी भी फैसला ना करो और जब खुशी की स्थिति में हो तो किसी से वादा न करो।


Hazrat Ali Quotes In Hindi

हर उस दोस्त पर भरोसा करो जो तुम्हारी मुश्किल में तुम्हारे काम आया हो।


Hazrat Ali Ki Baatein in Hindi

किसी पर तब तक भरोसा ना करना जब तक तुम उसे गुस्से में ना देख लो..


Hazrat Ali Ki Nasihat Hindi Mai

जिससे तुम्हें सच्ची मोहब्बत होगी वह तुम्हें फजूल और नाजायज काम करने से रोकेगा!


हज़रत अली के कितने बच्चे थे?

हज़रत अली के चार बच्चे थे जिसमें एक बच्चा उनकी प्रिय पत्नी फ़ातिमा से था जो कि एक जीवित इंसान था। मोहम्मद हज़रत अली ने हसन और हुसैन को अपने बेटों के रूप में उद्धृत किया था।


हज़रत अली की बेटी का क्या नाम था?

मोहम्मद हजरत अली की बेटी का नाम ज़ैनब और कुल थम था।


हज़रत अली के क्या फरमान थे?

वैसे तो मोहम्मद हज़रत अली के बहुत से फरमान है, उन सभी में कुछ विशेष फरमान है-

  • जिस शख्स को गुस्सा ज्यादा आता है, वह शख्स प्यार भी उतना ही करता है और उतना ही दिल साफ रखता है।
  • बेवकूफ औरत अपने शौहर को अपना गुलाम बनाते हैं और खुद गुलाम की बीवी बन जाती है जबकि अक्लमंद औरत अपने शौहर को बादशाह बनाती हैं।

हज़रत अली का दरगाह कहां है?

हज़रत अली का दरगाह इराक के नजफ शहर में स्थित है। यहां पर चौथे पैगंबर मोहम्मद हजरत अली की कब्र को दफन किया गया थाहज़रत अली की कब्र के साथ एडम और नूर की कब्र को भी दफ़न किया गया है। यह जगह शिया मुसलमानों की आस्था का स्थान हैं।


हज़रत अली की तलवार का क्या नाम है?

हज़रत अली जो की एक मशहूर मुस्लिम लीडर थे उनकी तलवार का नाम ज़ुल्फ़िकार था।

निष्कर्ष

आज का यह लिख बस यहीं समाप्त होता है हमें आशा है हजरत अली की जीवनी और उनके जीवन से जुड़ी अनेक महत्वपूर्ण जानकारियां आपको हासिल हुई होंगी। अगर आपको यह लेख पसंद आया है तो इसे ज्यादा से ज्यादा शेयर करना ना भूलें।

Hazrat Ali Jayanti 2021 in Hindi | Hazrat Ali History in Hindi

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2 Comments

  1. Bahut achha, bahut sankshipt mein likhe hai ye nibandh, lekin kuchh ghaltiyan hain. Please kisi shia se correction karwa leejiye. Hum sab ka Khaliq aapko aur aap jaison ko salamat rakhe.

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