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नवरात्रि का महत्व पूजा विधि और नौ देवियाँ के नाम

नवरात्रि 2022 का महत्व

आप सभी को नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं। आज मैं आपको चैत्र नवरात्रि का महत्व, नवरात्रि पूजन सामग्री, नवरात्रि 2022 के नियम और नवरात्रि टोटके के बारे में बताऊंगा।

नवरात्रि का त्यौहार हिंदुओं का एक प्रमुख पर्व है जिसको पूरे भारत देश में बहुत की गर्व से मनाया जाता हैं। नवरात्रि का जो शब्द है यह एक संस्कृत शब्द हैं, जिसका अर्थ होता है ‘नौ रातें’। इन 9 रातों और 10 दिनों के दिन, शक्ति / देवी के नौ रूपों की पूजा होती है (नवरात्रि पूजा)। नवरात्रि का दसवां दिन दशहरा के नाम से बहुत ही ज्यादा प्रसिद्ध है। Navratri Festival वर्ष में 4 बार आता है।

  1. पौष
  2. चैत्र
  3. आषाढ
  4. अश्विन प्रतिपदा से इसको नवमी तक मनाया जाता है।

नवरात्रि के नौ रातों में तीन देवियों के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। (महालक्ष्मी, महासरस्वती या सरस्वती और दुर्गा) जिन्हें नवदुर्गा कहते हैं। माँ ‘दुर्गा’ का मतलब होता है “जीवन के दुख को हटाने वाली“। नवरात्रि एक महत्वपूर्ण और प्रमुख त्योहार है जिसको पूरे भारत देश में महान उत्साह के साथ और खुशियों के साथ मनाया जाता है।

नवरात्रि का महत्व: नवरात्रि के नौ देवियों के नाम

नंबर नाम अर्थ
1. शैलपुत्री पहाड़ो की पुत्री
2. ब्रह्मचारिणी तप का आचरण करने वाली
3. चंद्रघंटा चाँद की तरह चमकने वाली
4. कूष्माण्डा पूरा जगत उनके पैर में
5. स्कंदमाता कार्तिक स्वामी की माता
6. कात्यायनी कात्यायन आश्रम में जन्मी
7. कालरात्रि काल का नाश करने वाली
8. महागौरी सफेद रंग वाली मां
9. सिद्धिदात्री सर्व सिद्धि देने वाली

Navratri Ka Mahatva

Navratri Image
Navratri Image

Importance of Navratri in Hindi

नराते शक्ति की शारदीय उपासना का पर्व है, इस पर्व को नवमी तक निश्चित नौ तिथि, नौ नक्षत्र, नौ शक्तियों की नवधा भक्ति के साथ सनातन काल से मनाया जा रहा है। श्री रामचंद्र जी ने नवरात्रि पूजा की शुरुआत समुद्र तट पर की थी और ठीक उसके बाद उन्होंने नवरात्र के दसवें दिन लंका विजय के लिए प्रस्थान किया और उन्होंने विजय भी प्राप्त की। तब से अभी तक असत्य, अधर्म पर सत्य, धर्म की जीत के पर्व के रूप में दशहरा मनाया जाने लगा। नवरात्र के नौ दिनों में आदि शक्ति के हर रूप की अलग-अलग पूजा की जाती हैं।

माँ दुर्गा की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री है। सिद्धिदात्री माता सभी प्रकार की सिद्धियां देने वाली हैं। इनका जो वाहन है वो सिंह है और माता कमल पुष्प पर ही आसीन होती है। सिद्धिदात्री माता की पूजा नवरात्रि के नौवें दिन की जाती है

नवरात्रि का महत्व और त्यौहार हिन्दुस्तान (भारत) में अलग-अलग भागों में अलग ढंग से मनाया जाता है। भारत के गुजरात प्रदेश में नवरात्र को बड़े पैमाने में मनाया जाता है। गुजरात में नवरात्रि समारोह डांडिया और गरबा के रूप में मनाया जाता है। यह समारोह पूरी रात भर चलता रहता है। गुजरात में लोग अपनी भक्ति प्रदर्शन के लिए देवी के सम्मान में सबसे पहले गरबा, ‘आरती’ से पहले किया जाता है और डांडिया समारोह उसके बाद।

Information About Navratri in Hindi

navratri ke totke hindi

नवरात्रि पर निबंध और पूजा विधि

नवरात्रि फेस्टिवल देवी अंबा (विद्युत) का प्रतिनिधित्व है। इस त्यौहार को वसंत की शुरुआत और शरद ऋतु की शुरुआत, जलवायु और सूरज के प्रभावों का प्रमुख संगम माना जाता है। इन दो समय में माँ दुर्गा की पूजा करने पर काफी लाभ होता है और इस दिन को पवित्र अवसर भी माना जाता है। नवरात्रि के त्यौहार की तिथियां चंद्र कैलेंडर के अनुसार निर्धारित होती हैं। नवरात्री पर्व, माता दुर्गा की भक्ति और परमात्मा की शक्ति की पूजा करने के लिए सबसे ज्यादा शुभ और अचूक अवधि माना जाता है। नवरात्र की पूजा जो है वो वैदिक युग से पहले, प्रागैतिहासिक काल से है।

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नवरात्रि के पहले तीन दिन किस देवी की पूजा करें?

काफी lलोगों को यह नहीं पता होता की नवरात्रि के पहले तीन दिन क्या करें? तो इस दिन देवी दुर्गा जी की पूजा करनी चाहिए। यह पूजा माता दुर्गा की उर्जा और शक्ति के लिए की जाती है। नवरात्री के पहले दिन बालिकाओं की पूजा करनी चाहिए इसको करना शुभ माना जाता है। नवरात्रि 2022 के दूसरे दिन युवती की पूजा की जाती है और नवरात्रि के तीसरे दिन जो महिला परिपक्वता के चरण में पहुंच गयी है उसकी पूजा करनी चाहिए। इन सब पूजा को करने से देवी दुर्गा के विनाशकारी पहलू सब बुराई के प्रवृत्तियों पर विजय प्राप्त कर लेती है।


नवरात्रि के चौथे से छठे दिन यह काम करने से आपको धन की प्राप्ति होगी

जब कोई भी व्यक्ति अपने क्रोध, वासना, अहंकार और अन्य पशु प्रवृत्ति की बुराई प्रवृत्तियों पर विजय प्राप्त कर लेता है तो वह व्यक्ति शून्य का अनुभव करता है और यह शून्य आध्यात्मिक धन से भर जाता है। अगर आपको धन और समृद्धि प्राप्त करनी है तो आपको देवी लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए। नवरात्रे के चौथे, पांचवें और छठे दिन माता लक्ष्मी – समृद्धि और शांति की देवी की पूजा करने से धन की समर्पित होती है। नवरात्रि के पांचवें दिन माता देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। सभी किताबों और अन्य साहित्य सामग्रियों को एक साथ रख दिया जाता है और एक दिया देवी का आशीर्वाद लेने के लिए, देवता के सामने जलाया जाता है।


नवरात्रि का सातवां और आठवां दिन: Navratri Ke Bare Mein Bataiye

नवरात्र के सातवें दिन कला और ज्ञान की देवी, सरस्वती की पूजा की जाती है। नवरात्रि के आठवें दिन दिन ‘यज्ञ’ किया जाता है। देवी दुर्गा को सम्मान और उनको विदा करने के लिए बलिदान देते हैं।

नवरात्रि का नौवां दिन: Navratri Information in Hindi

नवरात्रि का नौ दिन नवरात्र समारोह का आखिरी और अंतिम दिन है। यह दिन महानवमी के नाम से जाना जाता है। नौवां दिन पर कन्या पूजन होता है, कुछ लोग आठवें दिन भी कन्या पूजन कर देते है। इस दिन उन नौ लड़कियों की पूजा होती है जो अभी तक यौवन की अवस्था तक नहीं आई है। इन सभी नौ लड़कियों को देवी दुर्गा के नौ रूपों का प्रतीक ही माना जाता है। कन्याओं (लड़कियों) का सम्मान और स्वागत करने के लिए कन्याओं के पैर भी धोए जाते है। जब पूजा खत्म हो जाती है तो आखिरी में उनको नए कपड़े पेश किए जाते हैं।


शारदीय नवरात्रि क्या है

शारदीय नवरात्रि एक हिन्दू त्यौहार है, अश्विन महीने कि प्रतिपदा (पहली तिथि) से नवमी तक यह पर्व मनाया जाता है। शारदीय नवरात्रि पर्व के आते ही मौसम में परिवर्तन आ जाता है, तथा शरद ऋतु का आगमन हो जाता है, इसी कारण अश्विन माह में मनाई जाने वाली नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि भी कहा जाता है। शारदीय नवरात्रि भारत के साथ-साथ अन्य हिंदू निवासी देशों में भी मनाई जाती है।

भारत में शरदीय नवरात्रि पर्व को बेहद धूम धाम से मनाया जाता है। भारत के अलग अलग भूभाग में इस पर्व को अलग अलग अंदाज से मनाया जाता है। गुजरात में नवरात्रि में डांडिया और गरबा का आयोजन होता है और बात करें बंगाल की तो वहां दुर्गा पूजा को विशेष महत्त्व दिया जाता है। इस वर्ष शारदीय नवरात्रि 26 अक्टूबर 2022 से 4 अक्टूबर 2022 तक मनाई जाएगी। इन 9 दिनों में आदि शक्ति (माँ दुर्गा) के 9 रूपों की पूजा की जाती है। इसलिए हिन्दुओं के लिए शारदीय नवरात्रि के मायने बेहद खास है।


शारदीय नवरात्रि का महत्व

शारदीय नवरात्रि को प्राचीन काल से ही बहुत महत्ता दी गई है। माना जाता है कि शारदीय नवरात्रि में किया गया जप-तप, हवन, भजन, कीर्तन या जागरण माता को प्रसन्न करता है। ऐसा करने से हमारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है। शारदीय नवरात्रि में 9 दिनों तक व्रत किया जाता है, शारदीय नवरात्रि में नवमी के दिन महानवमी का त्यौहार होता है। इस दिन माँ दुर्गा को विधि विधान के साथ विदा किया जाता है, इसके अगले दिन पूरे भारत में विजय दशमी अर्थात दशहरा पर्व मनाया जाता है।

ब्रह्मा ने बताया महिषासुर को केवल एक कुंवारी स्त्री ही मार सकती है इसके बाद सभी देवी देवताओं ने अपनी शक्ति का प्रयोग कर देवी दुर्गा का निर्माण किया, जिसके बाद विष्णु ने उन्हें सुदर्शन दिया, शिवजी ने त्रिशूल और अन्य देवताओं ने भी अलग अलग शस्त्र दिए जिससे उन्होंने महिषासुर नामक भयानक असुर का वध किया। महिषासुर अपनी इच्छा शक्ति के मुताबिक कभी भी महिष अर्थात भैंसा का रूप धारण कर सकता था। महिष संस्कृत से लिया गया एक शब्द है जिसे हिंदी में भैस कहा जाता है।


शारदीय नवरात्रि मनाने के पीछे वैज्ञानिक कारण

शारदीय नवरात्रि मनाने के पीछे धार्मिक कारण तो है ही इसी के साथ इसे मनाने के पीछे अनेको वैज्ञानिक कारण भी है। आपको यह तो पता ही होगा की सूर्य हमें वर्ष भर प्रकाश देता है और पृथ्वी सूर्य का चक्कर काटती है, इसी प्रक्रिया को चार हिस्सों में बांटा गया है, जिन्हें संधियां कहते है। तथा प्रत्येक वर्ष में 6 ऋतुएं होती है, और बात करें नवरात्रि की तो प्रत्येक वर्ष 4 नवरात्रि होती है जिनमें से 2 गुप्त और दो स्पष्ट होती है।

अश्विन नवरात्रि से वातावरण में सर्दी का आगमन होता है, इसी के साथ शीत ऋतु का आवागमन भी होता है तथा वर्षा ऋतु विदा लेती है।

माना जाता है कि इन ऋतुओं के संधि काल में पराशक्ति में विशेष रूप का विकर्ण होता है और यह विकर्ण रोगदायक होता है। इस समय अवधि में भोजन की व्यवस्था में परिवर्तन होता है जिससे हमारी तबीयत खराब हो सकती है। क्योंकि जिस प्रकार का भोजन हम सर्दियों में करते है उस प्रकार का भोजन गर्मियों में नहीं कर सकते। इसी तथ्य को ध्यान में रख कर व्रत व्यवस्था को महत्वपूर्ण माना गया है। व्रत के दौरान लोग केवल एक समय प्रसाद ग्रहण करते है जिसके कारण भोजन परिवर्तन होने से कोई हानि नहीं होती।

शारदीय नवरात्रि में अकसर आपने सुना होगा की लोग मांस नहीं खाते तथा सुरापान भी नहीं करते जिसके पीछे भी एक वैज्ञानिक कारण छुपा हुआ है। ऋतु परिवर्तन के दौरान अगर आप मांस का आहार लेते है या आप सुरापान करते है तो इससे तमो गुण (mode of ignorance) अधिक प्रकट होता है जिससे आलस आता है, अधिक नींद आती है, काम करने का मन नहीं करता जिससे आप रोगी हो सकते है। इसलिए हिंदू धर्म के अनुयायियों के बीच नवरात्रि के दौरान उपवास रखना धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों दृष्टि से बेहद लाभदायक माना गया है।


शारदीय नवरात्रि कैसे मनाई जाती है?

आपको ये तो पता ही होगा की शारदीय नवरात्रि भारत के साथ साथ पूरे विश्व में अलग अलग रूपों में विभिन्न प्रकार से मनाई जाती है।

गुजरात में अधिकतर लोग डांडिया तथा गरबा का आयोजन करते है, वहीं बंगाली समुदाय के लोग दुर्गा पूजा का आयोजन करते है। और देश के अन्य हिस्सों में नौ दिनों में नौ अलग अलग देवियों (माँ दुर्गा के रूपों) की पूजा की जाती है, जिनमें पहले दिन माता शैलपुत्री, दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी की और तीसरे दिन माता चंद्रघंटा, ऐसे ही माता कूष्माण्डा, स्कंदमाता, माता कात्यायनी, माता कालरात्रि, माता महागौरी, माता सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है और अंतिम दिन माँ दुर्गा की पूजा कर उन्हें विदा किया जाता है और मां का आशीर्वाद लेकर मां से जीवन में सुख शांति, समृद्धि की कामना करते है।


प्यारे भक्तों यह था नवरात्रि का महत्व और नवरात्रि से जुड़ी कुछ कथाएं अगर आपको नवरात्रि के बारे में कुछ पता है जिसको आप हमारे साथ शेयर करना चाहते हो तो आप कमेंट के माध्यम से हमारे साथ शेयर कर सकते हो। माता के इस लेख को आप फेसबुक, ट्विटर और व्हाट्सएप्प पर शेयर जरूर करें आपको हिमांशु ग्रेवाल की तरफ से नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं

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