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यीशु मसीह की कहानी
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ईसा मसीह का जीवन परिचय वह किसके अवतार है?

नमस्ते, 10Lines.co में आज हम ईसाई धर्म के परमात्मा ईसा मसीह के बारे में जानेंगे। तो लेख को अंत तक ध्यानपूर्वक पढ़ें और यीशु मसीह की कहानी, ईसा मसीह किसके अवतार है, Isa Masih Ki Kahani, यीशु मसीह के वचन, यीशु मसीह को क्रूस पर क्यों चढ़ाया गया, ईसा मसीह का जन्म कब हुआ था, ईसा मसीह का जन्म कितने साल पहले हुआ था, ईसा मसीह की मृत्यु कब हुई इत्यादि की जानकारी प्राप्त करें।

प्रभु यीशु मसीह की कहानी हिंदी में

यीशु मसीह या जीसस क्राइस्ट ईसाई धर्म के संवर्धक हैं। ईसाई धर्म के लोग उन्हें परमपिता परमेश्वर का पुत्र मानते हैं। ईसा मसीह की जीवनी और उपदेश बाइबल के नये नियम में दिये गये हैं।

क्या आप जानते हैं कि बाइबिल क्या है और इसमें क्या लिखा है या हम इससे क्या सीखते हैं?

हम कह सकते है कि बाइबल ईश्वरीय प्रेरणा तथा मानवीय परिश्रम दोनों का सम्मिलित परिणाम है, जिसका वर्णन एक किताब के माध्यम से लोगों तक पहुंचाया जाता है। इसमें हर उस प्रश्न का आपको उत्तर मिलेगा जो कभी ना कभी हर एक इन्सान के दिमाग में उठते हैं। कुछ प्रशन हैं:-

  • 👉 मरने पर हमारा क्या होता है?
  • 👉 हम अपने परिवार को सुखी कैसे बना सकते हैं?
  • 👉 परमेश्वर के बारे में सच्चाई क्या है?
  • 👉 पृथ्वी के लिए परमेश्वर का मकसद क्या है?
  • 👉 परमेश्वर का राज्य क्या है?
  • 👉 परमेश्वर ने दुख-तकलीफें क्यों रहने दी हैं?

इससे मिलते जुलते और भी कई सवाल है जिसका जवाब बाइबिल में लिखा है, बाइबल के दो भाग हैं।

  1. पूर्वविधान (ओल्ड टेस्टामेंट)
  2. नवविधान (न्यू टेस्टामेंट)

ईसा मसीह कौन थे?

Yeshu Masih Ki Kahani और उनके जिंदगी में उन्होंने जो संगर्ष किये वो सभी बाइबल के दूसरे भाग यानी की नव विधान में हैं। दोस्तों, अब हम थोड़ा गौर फरमाते है ईसाई धर्म के भगवान यीशु मसीह जी की जीवनी के बारे में।

कहा जाता है कि यीशु ने एक मुस्लिम धर्म के परिवार में जन्म लिया था और ज्ञान बाटते-बाटते उन्होंने नये धर्म यानी की ईसाई धर्म का निर्माण किया। ईसा मसीह जिसे हम यीशु के नाम से भी जानते है ये एक साधारण से परिवार में जन्में जो कि एक मुस्लिम परिवार था। बचपन से ही अपने पिता के साथ उनके काम में हाथ बंटवाते थे। दरअसल ईसा मसीह का जन्म एक दिव्य जन्म था उनकी माता मरियम जिनका विवाह उनके पिता जोसफ से हुआ था लेकिन मरियम को ईश्वर के प्रसाद के रूप में ईसा मसीह का जन्म होना था इसलिए शादी से पहले ही मरियम के पेट में ईसा मसीह का आगमन हो गया था।

पहले तो ये विचित्र बात जान कर जोसफ, ईसा मसीह के पिता ने शादी करने से मना किया लेकिन ये सब ईश्वर का आदेश समझ कर उनसे शादी कर ली और फिर Isa Masih Ka Janm हुआ। ईसा मसीह ईश्वर के भेजे दूत थे जिसने ईश्वर के प्रचार के लिए लोगों को कहा कि भगवान की आराधना करो, ईश्वर नाम हमारे जीवन को आसान बनाता है। ऐसी जानकारी देते गए और लोगों के बीच में उन्होंने काफी बड़ी मुहिम चला दी।


ईसा मसीह का जन्म कब हुआ और उनके बचपन की कहानी

बाइबल के अनुसार यीशु की माता जी का नाम मरियम गलीलिया था। उनकी सगाई दाऊद के राजवंशी यूसुफ नामक एक बढ़ई से हुई। यीशु की माँ शादी से पहले ही ईश्वरीय प्रभाव से गर्भवती हो गई, ठीक उसी तरह जिस तरह पांडवो की माता कुंती ने अपने 4 पुत्रों को जन्म दिया था। यह सब जानने के बाद यीशु के पिता ने पहले तो शादी से इनकार कर दिया था, परंतु इश्वर का संकेत पाकर उन्होंने मरियम गलीलिया को अपनाया और फिर शादी भी की।

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शादी के कुछ समय बाद वो दोनों बेथलेहेम नामक नगरी में जाकर अपना जीवन व्यतीत करने लगे। यीशु का जन्म भी वहीं हुआ। जब यीशु बारह वर्ष के हुए तो उन्होंने अपने पिता युसूफ का रोजगार सिख कर अपने पिता का हाथ बटाने लगे। बाइबिल में यीशु के 13 से 29 वर्ष तक उन्होंने क्या किया इसका कोई भी जिक्र नहीं है।

जब यीशु 30 वर्ष की उम्र में थे तब उन्होंने यूहन्ना से पानी में डुबकी (दीक्षा) ली। डुबकी के बाद यीशु पर पवित्र आत्मा आई। जब उनकी दीक्षा पूरी हो गई और उनकी आत्मा पवित्र हो गई तो उन्होंने 40 दिन का उपवास किया और फिर लोगों को शिक्षा देने लगे। ये था उनका जन्म और उनका बचपन कैसे व्यतित हुआ उसका वर्णन।


ईसा मसीह के पिता का नाम क्या था?

ईसा मसीह के पिता का नाम ‘जोसफ’ था। वो मुस्लिम समुदाय से थे ।


अब हम जानते हैं की कैसे वो एक आम आदमी जिसका नाम यीशु हुआ करता था वो यीशु मसीह कैसे बने?

यीशु मसीह की कहानी

जब यीशु तीस वर्ष के हुए तो उन्होंने इजराइल की जनता को यहूदी धर्म का नया पाठ पढ़ाना शुरू किया। आइये जाने की यहूदी धर्म के पाठ पढ़ते समय यीशु ने इजराइल की जनता को क्या-क्या बताया।

  1. 👉 ईश्वर (जो केवल एक ही है) साक्षात प्रेमरूप है।
  2. 👉 यहूदी ईश्वर की परमप्रिय नस्ल नहीं है, ईश्वर सभी मुल्कों को एक समान प्यार करता है।
  3. 👉 इंसान को अपने क्रोध में किसी से बदला नहीं लेना चाहिए बल्कि उनको क्षमा करना सीखना चाहिए।
  4. 👉 यीशु ने स्पष्ट रूप से इजराइल की जनता को कहा कि वे ही ईश्वर के ही पुत्र हैं, वे ही मसीह हैं और स्वर्ग और मुक्ति का मार्ग हैं।
  5. 👉 यीशु ने क़यामत के दिन अपना ख़ास ज़ोर दिया क्योंकि उनका कहना था कि उसी समय स्वर्ग या नर्क इंसानी आत्मा को मिलता है।

इन सभी पाठ के साथ-साथ उन्होंने इजराइल की जनता के सामने कई चमत्कार भी किए जिससे वहां की जनता उनकी बातों को पसंद करने लगी।


यीशु के द्वारा किये गए संघर्ष: परमेश्वर की कृपा

यहूदियों के धर्मगुरुओं को यीशु में मसीहा जैसा कुछ खास नहीं दिखा। वो सब यीशु का भारी विरोध करने लगे। यहूदियों के धर्मगुरुओं को अपने कर्मकाण्डों से अत्यधिक प्रेम था। उनको यीशु द्वारा खुद को ईश्वरपुत्र बताने की बात हजम नहीं हुई इसलिए उन्होंने यीशु की शिकायत उस वक्त के रोमन गवर्नर पिलातुस को कर दी। रोमनों को हमेशा यहूदी क्रान्ति का डर लगा रहता था इसलिए उन्होंने धर्मगुरुओं को प्रसन्न करने के लिए ईसा को क्रूस की दर्दनाक सजा सुनाई।

जीसस क्राइस्ट स्टोरी

ईसा मसीह कौन थे और उनकी मृत्यु कैसे हुई

बाइबिल के मुताबिक जानिए यीशु को कितनी पीड़ा जनक मृत्यु मिली

  • रोमी के सैनिकों ने उनको कोड़ों से मारा।
  • उनके सर पर कांटों का बनाया हुआ ताज सजाया।
  • उनके ऊपर थूका।
  • उनके पीठ पर उनका अपना ही क्रूस उठवाके, रोमियों ने उन्हें गल्गता तक लिया, जहां पर उन्हें क्रूस पर लटकाना था।
  • उन्हें मदिरा और पित्त का मिश्रण पेश किया गया था जिसे पीने से उन्होंने नकारा भी था।

उस युग में यह मदिरा और पित्त का मिश्रण मृत्युदंड की अत्यंत दर्द को कम करने के लिए सभी को दिया जाता था। बाइबल के हिसाब से यीशु को दो चोरो के बीच क्रूस पर लटकाया गया था। मृत्यु के ठीक तीन दिन बाद यीशु ने वापिस जी उठे और उसके 40 दिन बाद वो सीधे स्वर्ग चले गए। यीशु के 12 शिष्यों ने ही उनके द्वारा निर्माण किये नये धर्म को सभी जगह फैलाया। आगे चल कर यहीं धर्म ईसाई धर्म के नाम से जाना जाने लगा।

ईसाइयों का मानना है कि क्रूस पर मरते समय यीशु मसीह ने हर एक इन्सान के पाप खुद पर ले लिए थे। इसलिए जो भी यीशु के पढाये पाठ में विश्वास करेगा, उसी को स्वर्ग मिलेगा।

ईसा मसीह की मृत्यु ल. AD 30 / 33 (aged 33–36) येरुशलम, यहूदा, रोमन साम्राज्य

ईसा मसीह की मृत्यु कैसे हुई थी

ईसा मसीह को सूली पर लटकाया गया था परंतु उससे उनकी मृत्यु नहीं हुई थी। वह अपनी माता मरियम के साथ तिब्बत के रास्ते भारत के श्रीनगर में आकर बस गए और उन्होंने यहां पर 80 साल की उम्र में अपना शरीर त्याग दिया था।


ईसा मसीह के कितने बच्चे हैं?

ब्रिटिश लाइब्रेरी ने करिब 1500 साल पुराने दस्तावेजों के हिसाब से यह खुलासा किया की ईसा मसीह ने एक वैश्य मैरी मैगडेलीन से शादी की थी और जिनसे उन्हें दो बच्चों का आशीर्वाद मिला था। हालांकि ऐसी बहुत ही बातें उस समय के अखबार में दी गयी थी जिन्हें जानकर हम सभी को आश्चर्यजनक बातें पता चली।


ईसा मसीह कौन थे ईसा मसीह कौन से गांव से थे?

यीशु मसीह जिन्हें ईसा मसीह के नाम से भी जाना जाता था। इन्हें इब्रानी, जीसस, क्राइस्ट के नाम से भी जाना जाता था। ईसा मसीह को नासरत का यीशु भी माना जाता है। ईसा मसीह ईसाई धर्म के प्रवर्तक के रूप में ज्यादा प्रसिद्ध है।


Isa Masih Ka Janm Kahan Hua Tha

ईसा मसीह का जन्म फिलिस्तीनी शहर के बेथलहम में हुआ था जिसको ईसा मसीह के जन्म स्थान होने की वजह से ईसाईयों की सबसे पवित्र जगहों में से एक माना जाता है। यह येरूशलम आज जो की इजरायल की राजधानी से 10 किलोमीटर दूर सेंट्रल वेस्ट बैंक में स्थित है।


Isa Masih Ka Janm Kab Hua Tha

ईसा मसीह का जन्म ल. 4 BC यहूदा, रोमन साम्राज्य में हुआ था।


यीशु मसीह की मृत्यु क्यों हुई?

यीशु की मृत्यु एक साधारण सी मृत्यु थी। दरअसल लोगों का मानना था कि ईसा मसीह एक ईश्वर है लेकिन ईसा मसीह का धर्म लोगों में ईश्वर के प्रति ज्ञान देना था और लोगों को ईश्वर के प्रति जागरूक करना था। ईश्वर के दिये सच्चे मार्ग की तरफ चलाना था। यीशु एक बहुत बड़े प्रवर्तक थे उनका विश्वास भगवान और उनके द्वारा दिखाये गए रास्ते को दुनिया भर में दूर दूर तक फैलाना था।


भगवान ईसा मसीह के कितने चेले थे?

ईसा मसीह के 12 चेले थे।


Yeshu Masih Ke 12 Chelo Ke Naam

भगवान ईसा मसीह के 12 चेलों का नाम इस प्रकार है।

  1. पीटर
  2. एंड्रयू
  3. जेम्स (जबेदी का बेटा)
  4. जॉन
  5. फिलिप
  6. बर्थोलोमेव
  7. मैथ्यू
  8. थॉमस
  9. जेम्स (अल्फाइयूज का बेटा)
  10. संत जुदास
  11. साइमन द जिलोट
  12. मत्तिय्याह

ये सभी ईसा मसीह के मुख्य शिष्य थे।


ईसा मसीह को कैसे मारा गया था?

ईसा मसीह को कुदरती मृत्यु प्राप्त हुई थी उन्हें किसी ने नहीं मारा था।


ईसा मसीह को भगवान क्यों माना जाता है?

ईसा मसीह को भगवान इसलिए माना जाता है क्योंकि उनका जन्म भगवान की इच्छा अनुसार हुआ था। उनकी माता मरियम को भगवान की इच्छा के अनुसार बिना शादी के ही गर्भधरण हुआ था और बाद में उनकी शादी युसुफ से हुई थी और भगवान का आशीर्वाद समझ कर ईसा मसीह का जन्म हुआ। ईसा मसीह ने मुस्लिम धर्म से ही ईसाई धर्म का निर्माण किया और ईश्वर के प्रति उनकी इबाद्त करने और अच्छे नेक रास्तों पर चलने की राह दी थी।

ईसा मसीह का ईश्वर में बहुत गहरा विश्वास था और ये विश्वास उन्हें सबसे अलग बनाता था। ईसा मसीह के इस विश्वास को देखते हुए उनके काफी शिष्य हुए और उनके दिखाएं रास्तों पर चलें और उन्होंने धर्म का प्रचार किया और ईश्वर के प्रति काफी लोगों को एक नए जीवन की शुरुआत की।


ईसाई धर्म के भगवान कौन थे?

ईश्वर ईसाई एकेश्वरवादी हैं, लेकिन वे ईश्वर को त्रीएक के रूप में समझते हैं — परमपिता परमेश्वर, उनके पुत्र ईसा मसीह और पवित्र आत्मा। साई धर्म वैसे तो इस्लाम धर्म से निकला है लेकिन उनकी ईसाई धर्म के भगवान अलग है जिनके तीन प्रकार है। परमपिता परमेश्वर उनके पुत्र ईसा मसीह और पवित्र आत्मा है।


ईसाई धर्म के नियम क्या है?

कहा जाता है ईसाई धर्म के चार नियम है:-

  1. ईसाई धर्म के लोग मूर्ति पूजा को अविश्वास मानते है। उनका कहना है कि मूर्ति पूजा करना एक अंधविश्वास है।
  2. हत्या – किसी की हत्या करना पाप है और ईसाई धर्म में किसी की हत्या करना बेहद ही पाप है।
  3. व्याभिचार – किसी भी व्यक्ति या समाज को भला बुरा नहीं कहना चाहिए।
  4. किसी को भी व्यर्थ में आघात पहुंचाना बेहद ही गलत है और ईसाई धर्म में इसे बिलकुल व्यर्थ माना गया है।

भारत में ईसाई धर्म कब आया था?

भारत में ईसाई धर्म की शुरुआत, ईसा मसीह धर्म की शुरुआत ईसा मसीह के बारह मूल धर्मदूतों में से एक थॉमस के सन् 42 में केरल में आने के बाद हुई। विदवानों की सहमति है कि ईसाई धर्म है निश्चित तौर पर छंटवी शताब्दी ईस्वी से भारत में स्थापित हो गया था। भारत की 2011 की जनगणना के अनुसार करीब 2.3% जनसंख्या ईसाई धर्म की है।


दोस्तों, ये था ईसा मसीह का जीवन परिचय, संगर्ष, रोचक तथ्य, यीशु मसीह की कहानी और उनकी मृत्यु का कारण। मैं उम्मीद करता हूं कि आप सभी को यह प्रश्न जो कि आपके मन में आते होंगे ऐसे प्रश्नों को लेकर या ईसा मसीह को लेकर तो आपके सभी प्रश्नों के जवाब मिल गए होंगे। आशा करता हूं आपको यह प्रश्न और उनके उत्तर अच्छे लगे होंगे। यदि आपकी और किसी प्रश्न को लेकर शंका हो तो कृपया करके हमें कमेंट के माध्यम से जरूर बताएं।

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4 Comments

  1. Yeshu mashi ne apni life me bohot dukh uthaye unhone hamare liye apna balidan Diya to ese parmeshwar par viswas karna galat hai? Agar wo sahi the to aaj Hindu samaj aur Muslim samaj unhe galat kyu kehta hai?

    1. जिस समुदाय की स्थापना ही ईसाई समुदाय के पश्चात हुआ था उस में ईसाई समुदाय के ईसा मसीह का जन्म कैसे हुआ था?

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