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महात्मा गांधी पर निबंध
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महात्मा गांधी पर निबंध और जीवन परिचय

अहिंसा परमो धर्म: सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलना आसान बात नहीं है परंतु जो भी व्यक्ति इस मार्ग पर चला उसने दुनिया के सामने एक अच्छी छवि बनाई है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने इसी मार्ग को चुना और अपने सिद्धांतों के माध्यम से भारत के लोगों के दिलों पर राज किया।

आज हम इस लेख में आपको महात्मा गांधी पर निबंध और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जीवन परिचय में उनके जीवन से जुड़ी विस्तार पूर्वक जानकारी देंगे तथा यह भी बताएंगे कि उन्होंने अपने जीवन में कितने संघर्ष किए और भारत को आजाद कराने के लिए कौन-कौन सी लड़ाई लड़ी।

Mahatma Gandhi Biography in Hindi

Name / नाम मोहनदास करमचन्द महात्मा गांधी
Father / पिता करमचंद गांधी
Mother / माता पुतली बाई
Born / जन्म दिवस 2 अक्टूबर 1869
Place / जन्मस्थान पोरबंदर, गुजरात, ब्रिटिश इंडिया
Wife / पत्नी कस्तूरबा गांधी
Child / बच्चे हरिलाल, मणिलाल, रामदास, देवदास
Death / मृत्यु 30 जनवरी 1948
Achievements भारत की स्वतंत्रता में महत्वपूर्ण योगदान, उनके द्वारा चलाये गए आन्दोलनों : भारत छोडो आन्दोलन, स्वदेशी आन्दोलन, असहयोग आन्दोलन इत्यादि

महात्मा गांधी पर निबंध 200 शब्दों में

  • प्रस्तावना

महात्मा गांधी भारतीय इतिहास का वह नाम जिसको लोग बड़े आदर से लेते हैं। आज भारत के कोने कोने में गांधी जी को बापू के नाम से लोग जानते हैं। गांधीजी स्वभाव से बड़े सिद्धांतवादी तथा अहिंसा वादी थे, उन्होंने कम उम्र में ही अच्छी शिक्षा प्राप्त कर ली थी।

गांधीजी की प्रसिद्धि का अहम कारण है उनकी विचारधारा तथा उन्होंने जो कर्तव्य अपने देश के प्रति दिखाई है, वह तारीफ के काबिल है। वैसे तो उन्होंने बचपन से ही कई उतार-चढ़ाव देखे परंतु उनमें भी वह स्थिर रहे। भारत को अंग्रेजों से आजाद कराने के लिए गांधीजी ने अनेक आंदोलनों में भाग लिया तथा कई संघर्ष किए, जिनका जिक्र आज भी किया जाता है।

वह स्वभाव से अहिंसा, सत्य निष्ठा, शाकाहारी तथा धर्मनिरपेक्ष का पालन करने वाले व्यक्ति थे, इसीलिए अंग्रेज भी उनका आदर करते थे। अंग्रेजों को पता था कि गांधी जी भारत के एक महत्वपूर्ण राजनेता है, यदि हम उनके खिलाफ कोई भी कार्रवाई करते हैं तो हमें भारत जल्द से जल्द छोड़ना पड़ सकता है, इसीलिए उन पर कार्रवाई करने से पहले अंग्रेज कई बार सोचा करते थे।

महात्मा गांधी की जीवनी के बारे में निबंध

महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था। गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था।

गांधी जी के नाम के साथ उनके पिता का भी नाम जुड़ा था। महात्मा गांधी के पिता का नाम करमचंद गांधी तथा माता का नाम पुतलीबाई था। महात्मा गांधी की जाति पंसारी थी। गांधी जी के पिता ब्रिटिश राज के समय काठियावाड़ की एक छोटी सी रियासत के दीवान थे। तथा पुतलीबाई करमचंद की चौथी पत्नी थी। पुतलीबाई भक्ति भावना में लीन रहा करती थी इसी कारण मोहनदास के जीवन पर इनका गहरा प्रभाव पड़ा।

गांधी जी का विवाह महज 13 साल की उम्र में ही कर दिया गया था। कस्तूरबा गांधी जिनके साथ गांधी जी का विवाह हुआ, उनकी आयु 15 वर्ष थी। कस्तूरबा गांधी की चार संतान हुई।

  1. हीरालाल गांधी
  2. मणिलाल गांधी
  3. रामदास गांधी
  4. देवदास गांधी

गांधीजी की पहली संतान होने के कुछ दिनों के बाद उनकी माता का देहांत हो गया था और इसी साल गांधी जी के पिता भी चल बसे, जिससे उन्हें काफी गहरा आघात पहुंचा।

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महात्मा गांधी का विद्यार्थी जीवन परिचय

गांधीजी एक औसत विद्यार्थी थे। वह पढ़ाई तथा खेल में ज्यादा तेज नहीं थे क्योंकि वह बीमार पिता की सेवा करने तथा घरेलू कामकाज में मां का हाथ बटाने में लगे रहते थे। महात्मा गांधी की प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर में ही संपन्न हुई और हाई स्कूल की परीक्षा उन्होंने राजकोट में दिया था। इसके बाद वे मैट्रिक करने के लिए अहमदाबाद चले गए, इसके बाद अपनी आगे की पढ़ाई करने के लिए वह लंदन चले गए। वहां से उन्होंने कानून की पढ़ाई पूरी की। इस तरह से उन्होंने उच्च शिक्षा की ओर अपने जीवन को दूसरों की सेवा में न्योछावर कर दिया।

गांधी जी को महात्मा की उपाधि किसने दी?

वैसे तो गांधीजी को इस उपाधि से सम्मानित करने के पीछे कई तथ्य है विभिन्न स्रोतो का यह मानना है कि यह उपाधि स्वामी श्रद्धानंद ने दी थी परंतु कुछ स्रोत यह भी मानते हैं, कि गुरु रविंद्र नाथ टैगोर ने उन्हें महात्मा की उपाधि प्रदान की थी।

Mahatma Gandhi in Hindiगांधीजी की लेखन शैली

गांधीजी एक कुशल राजनीतिज्ञ के साथ-साथ बहुत अच्छे लेखक भी थे, उन्होंने अपने जीवन के उतार-चढ़ाव को कलम की सहायता से बखूबी पन्नों पर उतारा है। उन्होंने हरिजन, इंडियन ओपिनियन, यंग इंडिया में संपादक के तौर पर भी काम किया। इनके द्वारा लिखित पुस्तक हिंदी स्वराज जो 1909 में लिखी गई थी, दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह का वर्णन इस पुस्तक में मिलता है। तथा इनकी अन्य पुस्तक जैसे मेरा सपनों का भारत, ग्राम स्वराज आदि है। इन पुस्तकों में भी गांधीवादी विचारधारा तथा समाज में नागरिकों का मार्गदर्शन ऐसे कई प्रमुख विचारों को व्यक्त करती है।

महात्मा गांधी जी के प्रमुख आंदोलन के नाम

1. चंपारण सत्याग्रह आंदोलन
2. असहयोग आंदोलन
3. दांडी यात्रा आंदोलन
4. भारत छोड़ो आंदोलन

चंपारण सत्याग्रह आंदोलन क्या है?

इस सत्याग्रह का आरंभ सन् 1917 को बिहार के चंपारण जिले में प्रारंभ किया गया था। यह गांधी जी की पहली बड़ी उपलब्धि थी।

इस सत्याग्रह में उन्होंने अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों को खंडित किया था। यह सत्याग्रह इसीलिए चालू किया गया था क्योंकि आम किसानों को जरूरी खाद्य फसलों के बजाय उन्हें नील की खेती करने के लिए मजबूर किया जा रहा था। जब लोगों ने नील की खेती करने से इंकार कर दिया तो उन पर अंग्रेजी हुकूमत जोर जबरदस्ती करने की कोशिश करने लगे, कुछ किसानों ने नील की खेती करना चालू कर दिया परंतु अकाल पड़ने की वजह से उन्हें खाद्य सामग्री की कमी होने लगी, फिर भी अंग्रेज उनसे नील की खेती और ज्यादा मात्रा में कर लेते थे।

अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों का साथ गांव के जमींदार दिया करते थे। जब यह बात गांधीजी के समक्ष रखी गई तो उन्होंने सत्याग्रह करना चालू कर दिया, बाद में अंग्रेजों को अपनी इस नीति को हटाना पड़ा।

असहयोग आंदोलन के बारे में जानकारी

असहयोग आंदोलन सितंबर 1920 से फरवरी 2022 तक चला, इसका नेतृत्व भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस कर रही थी। इसको इसलिए चलाया गया था क्योंकि जब पंजाब में अंग्रेजों द्वारा भारतीयों पर जलियांवाला बाग हत्याकांड नरसंहार किया गया तो लोग बहुत क्रोधित हो गए थे। इसका विरोध करने के लिए गांधी अहिंसा तथा शांतिपूर्ण तरीके से धरने पर बैठ गए। इसी बीच दिसंबर 1921 को गांधी जी को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का कार्यकारी अधिकारी नियुक्त कर दिया गया।

इसके तहत ब्रिटेन की शैक्षणिक संस्था तथा अदालतों का बहिष्कार करना शुरू कर दिया गया। इसके साथ ही सरकारी अधिकारियों ने सरकारी नौकरी भी छोड़ना चालू कर दिया था। जिससे समाज के सभी वर्गों की जनता में जोश और भागीदारी बढ़ गई थी। बाद में आंदोलन द्वारा हिंसा का रूप अपनाने के डर से इस आंदोलन को वापस ले लिया गया। इसके अंतर्गत 10 मार्च 1922 को राजद्रोह के लिए गांधीजी पर मुकदमा भी चलाया गया, जिसमें उन्हें 6 वर्ष की सजा भी सुनाई गई।

दांडी यात्रा का क्या महत्व था

12 मार्च 1930 को साबरमती आश्रम से दांडी गांव तक 24 दिन की पैदल यात्रा करके उन्होंने नमक बनाकर एक नया आंदोलन छेड़ दिया था। इसका कारण था कि साइमन कमीशन 1928 में आया था जिसमें एक भी भारतीय सदस्य नहीं था इसीलिए भारतीय राजनीतिक दलों का बहिष्कार किया गया था।

दिसंबर 1928 में गांधीजी ने कोलकाता में आयोजित कांग्रेस के अधिवेशन में एक प्रस्ताव रखा कि भारतीय साम्राज्य को सत्ता प्रदान करने के लिए कहां जाएगा। इसी समय लार्ड इरविन द्वारा गांधी जी के साथ विचार विमर्श करने का निर्णय लिया गया, इसे इरविन गांधी की संधि भी कहते हैं। इस समझौते के परिणाम स्वरूप लंदन में आयोजित गोलमेज सम्मेलन में गांधी जी को आमंत्रित किया गया। गांधी जी के इस आंदोलन को कुचलने के लिए उन्हें गिरफ्तार भी कर लिया गया था।

भारत छोड़ो आंदोलन कब शुरू हुआ

यह भी गांधीजी के महत्वपूर्ण आंदोलनों में से एक है। इस आंदोलन की शुरुआत 8 अगस्त 1942 को हुई थी, इसके तहत जहां दुनिया में द्वितीय विश्व युद्ध की घोषणा हुई तो वहां पर भारतीय सैनिकों को जबरदस्ती ले जाने का निर्णय लिया गया परंतु भारत के राजनीतिक दल यह चाहते थे कि हमारा देश उनकी लड़ाई में शामिल ना हो। जैसे-जैसे द्वितीय विश्व युद्ध बढ़ते गया वैसे वैसे भारत में भी आजादी की लहर बढ़ते गई। इसमें अंग्रेजों के लिए भारत छोड़ो आंदोलन का नारा दिया गया।

महात्मा गांधी हिस्ट्री: भारत विभाजन में महात्मा गांधी जी का रोल

जब 1947 को भारत और पाकिस्तान का विभाजन किया जा रहा था, तब गांधीजी नहीं चाहते थे कि यह विभाजन हो। परंतु मोहम्मद अली जिन्ना और पंडित नेहरू के आपसी मनमुटाव तथा पद की चाह के लिए यह विभाजन हुआ। जिन्ना को लगता था कि हिंदुस्तान में मुसलमान सुरक्षित नहीं है उन पर आने वाले दिनों में कई प्रकार के जुल्म हो सकते है और वह अलग से अपना एक मुस्लिम देश बनाना चाहते थे और यह बात भी सामने आई कि देश का पहला प्रधानमंत्री मोहम्मद अली जिन्ना को बनाया जाए परंतु पंडित नेहरू इस बात पर राजी नहीं हुए।

जब यहां सारी घटना गांधी जी के पास गई तो उन्होंने बंटवारे के लिए साफ इंकार कर दिया परंतु देश में चल रहे हिंदू मुस्लिम दंगे रोकने का नाम नहीं ले रहे थे परंतु सरकार अपने इरादों में बनी हुई थी, तब उसी समय गांधी जी ने मौन व्रत धारण कर लिया और 14 अगस्त को पाकिस्तान तथा 15 अगस्त को हिंदुस्तान आजाद हुए।

महात्मा गांधी के साथ घटित प्रमुख घटना

जब महात्मा गांधी जी दक्षिण अफ्रीका में रेल यात्रा कर रहे थे तब उनके पास फर्स्ट क्लास की टिकट थी, उस ट्रेन में जब टिकट चेक करने वाला अधिकारी आया तो उन्होंने देखा कि गांधी जी के पास फर्स्ट क्लास की टिकट है। अफ्रीका में उस समय भारतीयों को भेदभाव का सामना करना पड़ता था। उस अधिकारी ने गांधीजी को कहा कि आप थर्ड क्लास डिब्बे में जाकर बैठो, फर्स्ट क्लास आपके लिए नहीं है। गांधीजी ने उनसे कहा कि मेरे पास फर्स्ट क्लास का टिकट है मैं यहीं पर बैठूंगा तो उस अधिकारी ने गांधी जी तथा उनके सामान को ट्रेन से बाहर फेंक दिया, जो कि गांधीजी के जीवन की एक महत्वपूर्ण घटना है।

महात्मा गांधी की मृत्यु कब और कैसे हुई थी?

30 जनवरी 1948 की शाम को दिल्ली में स्थित बिरला भवन में नाथूराम गोडसे द्वारा उन्हें गोली मार दी गई। इस हत्या के पीछे 7 लोग दोषी पाए गए। जब उनकी शवयात्रा निकली थी तब 8 किलोमीटर तक पैर रखने को जगह नहीं थी। उन्हें पांच बार शांति के नोबेल पुरस्कार के लिए नामांकित किया जा चुका है परंतु यह अभी तक प्राप्त नहीं हुआ।

आशा करता हूं मेरे द्वारा दी गई जानकारी से आप संतुष्ट होंगे। इस लेख का उद्देश्य गांधीजी के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी प्रदान करना है ताकि उनकी विचारधाराओं को अपने जीवन में अपनाकर उन्हें के तरह सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चल सके।

– महात्मा गांधी पर निबंध

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