Advertisement
Patriotic Poems in Hindi
|

देश प्रेम की सर्वश्रेष्ठ कविताएँ

यहाँ पर जितनी भी मैंने Patriotic Poems in Hindi Language में लिखी है उनका इस्तेमाल आप 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस और 26 जनवरी गणतंत्रता दिवस के दिन कर सकते हो|

यह एक Desh Bhakti Patriotic Poems in Hindi है जो स्पेशल Republic Day और Independence Day के लिए लिखी गई है|

यहाँ आज मैं आप सभी दोस्तों के साथ Short Hindi Patriotic Poems For Kids शेयर करने जा रहा हूँ जिनको आप किसी भी समारोह में सुना सकते हो.

तो आईये दोस्तों भारत माता का नाम लेते हुए अपनी इस देशभक्ति हिंदी कविता 2021 को पढ़ना प्रारंभ करते है.

Desh Bhakti Poem in Hindi को शुरू करने से पहले हमने कुछ लेख ऐसे भी लिखे है जो आपको अत्यंत पसंद आयेंगे जैसे देश भक्ति नारे 2021, देश भक्ति पर भाषण 2021 और देश भक्ति शायरी 2021|

महत्वपूर्ण लेख :

A Beautiful Patriotic Poems in Hindi for Class 1, 7, 10

Hindi Patriotic Poems For Class 6

grammarly
अलग अलग गलियों कुचों में लोग कोन गिनता है|
साथ खड़े हों रहने वाले, देश तभी बनता है||

बड़ी बड़ी हम देश प्रेम की बात किये जाते हैं|
वक्त पड़े तो अपनों के भी काम नही आते हैं||

सरहद की रखवाली को सेना अपनी करती है|
पर अंदर सडकों पर लड़की चलने में डरती है||

युवा शक्ति का नारा सुनने में अक्सर आता है|
सही दिशा भी किसी युवा को नहीं दिखा पाता है||

खेत हमारी पूँजी है, और फसल हमारे गहने|
क्यों किसान फिर कहीं लगे हैं जान स्वयं की लेने||

थल सजा है कहीं परन्तु भूख नहीं लगती है|
किसी की बेटी भूख के मारे रात रात जगती है||

क्या सडसठ सालों में ये आजाद वतन अपना है|
क्या यही भगत सिंह और महात्मा गाँधी का सपना है||

क्या इसीलिए आज़ाद गोली खुद को मारी|
क्या इसीलिए रण में कूदी वह नन्ही सी झलकारी||

क्या इसीलिए बिस्मिल ने 'फिर आऊंगा' कह डाला था|
क्या ऊधम सिंह ने क्रोध को अपने इसलिए पाला था|

गर नहीं तो फिर कैसे चूके हम राष्ट्र नया गढ़ने में|
जिस आज़ादी के लिए लड़े उसकी इज्जत करने में||

जो फूल सूख कर बिखर गया वह फिर से नही खिलेगा|
जो समय हाथ से निकल गया वह वापस नहीं मिलेगा||

पर अक्लमंद को एक इशारा ही काफ़ी होता है|
सुधार ही हर गलती के लिए असली माफ़ी होता है||

देश प्रेम और राष्ट्रवाद के गान नहीं गाओ तुम|
अपने अंदर बसे भगत सिंह को जरा जगाओं तुम||

मंजिल दूर नहीं राही जब करले अटल इरादा|
अपना हाथ उठा कर ख़ुद से आज करो ये वादा||

मेरे सामने कोई कभी भी भूख से नही मरेगा|
मेरे रहते अन्याय से कोई नहीं डरेगा||

मैं पहले उसका जिसकी तत्काल मदद करनी है|
अपने आगे हर पीड़ित की हर पीड़ा हरनी है||

शपथ गृहण कर आज़ादी का उत्सव आज मनाते हैं|
देश बुलाता है आओ कुछ काम तो इसके आते हैं||

|| वन्दे मातरम् - भारत माता की जय ||

Patriotic Poem in Hindi By Famous Poets

Desh Bhakti Kavita in Hindi

बहती जहाँ ज्ञान की धारा
वो भारत हमें जान से प्यारा
सीता राम की धरती है जो
ऐसा भारत देश हमारा

है भारत की शान तिरंगा
इसे न झुकने देंगे हम
वीरों की क़ुरबानी को
व्यर्थ न जाने देंगे हम

न जाति न भाषा देखा
सबको अपना मीत बनाया
हो बांग्लादेश या पाकिस्थान
हमने सबको गले लगाया

दी शरण हमने सबको
जब कोई है संकट आया
भूखे रहकर भी हमने
पड़ोसी को खाना खिलाया

भारत माँ के सेवक हैं हम
माँ की रक्षा हम करेंगे
बुरी नीयत से जो देखेगा
हम उसका अंत करेंगे||

Best Patriotic Poem For Indian Independence Day in Hindi

हमारी इस हिंदी कविता का शीर्षक है “भारत तुझको नमस्कार है” यह पोएम “अशोक कुमार वशिष्ट” द्वारा लिखी गई है.

Hindi Patriotic Poems For Class 2

भारत तुझसे मेरा नाम है,
भारत तू ही मेरा धाम है|

भारत मेरी शोभा शान है,
भारत मेरा तीर्थ स्थान है|

भारत तू मेरा सम्मान है,
भारत तू मेरा अभिमान है|

भारत तू धर्मो का ताज है,
भारत तू सबका समाज है|

भारत तुझमें गीता सार है,
भारत तू अमृत की धार है|

भारत तू गुरुओं का देश है,
भारत तुझमें सुख सन्देश है|

भारत जबतक ये जीवन है,
भारत तुझको ही अर्पण है|

भारत तू मेरा आधार है,
भारत मुझको तुझसे प्यार है|

भारत तुझपे जा निसार है,
भारत तुझको नमस्कार है|

Patriotic Poems in Hindi By Subhadra Kumari Chauhan

Subhadra Kumari Chauhan Poems in Hindi (झांसी की रानी / सुभद्राकुमारी चौहान)

सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी,
बूढ़े भारत में भी आई फिर से नयी जवानी थी,
गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी,
दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी।

चमक उठी सन सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥

कानपूर के नाना की, मुँहबोली बहन छबीली थी,
लक्ष्मीबाई नाम, पिता की वह संतान अकेली थी,
नाना के सँग पढ़ती थी वह, नाना के सँग खेली थी,
बरछी, ढाल, कृपाण, कटारी उसकी यही सहेली थी।

वीर शिवाजी की गाथायें उसको याद ज़बानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥

लक्ष्मी थी या दुर्गा थी वह स्वयं वीरता की अवतार,
देख मराठे पुलकित होते उसकी तलवारों के वार,
नकली युद्ध-व्यूह की रचना और खेलना खूब शिकार,
सैन्य घेरना, दुर्ग तोड़ना ये थे उसके प्रिय खिलवाड़।

महाराष्ट्र-कुल-देवी उसकी भी आराध्य भवानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥

हुई वीरता की वैभव के साथ सगाई झाँसी में,
ब्याह हुआ रानी बन आई लक्ष्मीबाई झाँसी में,
राजमहल में बजी बधाई खुशियाँ छाई झाँसी में,
सुघट बुंदेलों की विरुदावलि-सी वह आयी थी झांसी में।

चित्रा ने अर्जुन को पाया, शिव को मिली भवानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥

उदित हुआ सौभाग्य, मुदित महलों में उजियाली छाई,
किंतु कालगति चुपके-चुपके काली घटा घेर लाई,
तीर चलाने वाले कर में उसे चूड़ियाँ कब भाई,
रानी विधवा हुई, हाय! विधि को भी नहीं दया आई।

निसंतान मरे राजाजी रानी शोक-समानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥

बुझा दीप झाँसी का तब डलहौज़ी मन में हरषाया,
राज्य हड़प करने का उसने यह अच्छा अवसर पाया,
फ़ौरन फौजें भेज दुर्ग पर अपना झंडा फहराया,
लावारिस का वारिस बनकर ब्रिटिश राज्य झाँसी आया।

अश्रुपूर्ण रानी ने देखा झाँसी हुई बिरानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥

अनुनय विनय नहीं सुनती है, विकट शासकों की माया,
व्यापारी बन दया चाहता था जब यह भारत आया,
डलहौज़ी ने पैर पसारे, अब तो पलट गई काया,
राजाओं नव्वाबों को भी उसने पैरों ठुकराया।

रानी दासी बनी, बनी यह दासी अब महरानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥

छिनी राजधानी दिल्ली की, लखनऊ छीना बातों-बात,
कैद पेशवा था बिठूर में, हुआ नागपुर का भी घात,
उदैपुर, तंजौर, सतारा,कर्नाटक की कौन बिसात?
जब कि सिंध, पंजाब ब्रह्म पर अभी हुआ था वज्र-निपात।

बंगाले, मद्रास आदि की भी तो वही कहानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥

रानी रोयीं रनिवासों में, बेगम ग़म से थीं बेज़ार,
उनके गहने कपड़े बिकते थे कलकत्ते के बाज़ार,
सरे आम नीलाम छापते थे अंग्रेज़ों के अखबार,
'नागपुर के ज़ेवर ले लो लखनऊ के लो नौलख हार'।

यों परदे की इज़्ज़त परदेशी के हाथ बिकानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥

कुटियों में भी विषम वेदना, महलों में आहत अपमान,
वीर सैनिकों के मन में था अपने पुरखों का अभिमान,
नाना धुंधूपंत पेशवा जुटा रहा था सब सामान,
बहिन छबीली ने रण-चण्डी का कर दिया प्रकट आहवान।

हुआ यज्ञ प्रारम्भ उन्हें तो सोई ज्योति जगानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥

महलों ने दी आग, झोंपड़ी ने ज्वाला सुलगाई थी,
यह स्वतंत्रता की चिनगारी अंतरतम से आई थी,
झाँसी चेती, दिल्ली चेती, लखनऊ लपटें छाई थी,
मेरठ, कानपुर,पटना ने भारी धूम मचाई थी,

जबलपुर, कोल्हापुर में भी कुछ हलचल उकसानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥

इस स्वतंत्रता महायज्ञ में कई वीरवर आए काम,
नाना धुंधूपंत, ताँतिया, चतुर अज़ीमुल्ला सरनाम,
अहमदशाह मौलवी, ठाकुर कुँवरसिंह सैनिक अभिराम,
भारत के इतिहास गगन में अमर रहेंगे जिनके नाम।

लेकिन आज जुर्म कहलाती उनकी जो कुरबानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥

इनकी गाथा छोड़, चले हम झाँसी के मैदानों में,
जहाँ खड़ी है लक्ष्मीबाई मर्द बनी मर्दानों में,
लेफ्टिनेंट वाकर आ पहुँचा, आगे बढ़ा जवानों में,
रानी ने तलवार खींच ली, हुया द्वंद असमानों में।

ज़ख्मी होकर वाकर भागा, उसे अजब हैरानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥

रानी बढ़ी कालपी आई, कर सौ मील निरंतर पार,
घोड़ा थक कर गिरा भूमि पर गया स्वर्ग तत्काल सिधार,
यमुना तट पर अंग्रेज़ों ने फिर खाई रानी से हार,
विजयी रानी आगे चल दी, किया ग्वालियर पर अधिकार।

अंग्रेज़ों के मित्र सिंधिया ने छोड़ी राजधानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥

विजय मिली, पर अंग्रेज़ों की फिर सेना घिर आई थी,
अबके जनरल स्मिथ सम्मुख था, उसने मुहँ की खाई थी,
काना और मंदरा सखियाँ रानी के संग आई थी,
युद्ध श्रेत्र में उन दोनों ने भारी मार मचाई थी।

पर पीछे ह्यूरोज़ आ गया, हाय! घिरी अब रानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥

तो भी रानी मार काट कर चलती बनी सैन्य के पार,
किन्तु सामने नाला आया, था वह संकट विषम अपार,
घोड़ा अड़ा, नया घोड़ा था, इतने में आ गये सवार,
रानी एक, शत्रु बहुतेरे, होने लगे वार-पर-वार।

घायल होकर गिरी सिंहनी उसे वीर गति पानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥

रानी गई सिधार चिता अब उसकी दिव्य सवारी थी,
मिला तेज से तेज, तेज की वह सच्ची अधिकारी थी,
अभी उम्र कुल तेइस की थी, मनुज नहीं अवतारी थी,
हमको जीवित करने आयी बन स्वतंत्रता-नारी थी,

दिखा गई पथ, सिखा गई हमको जो सीख सिखानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥

जाओ रानी याद रखेंगे ये कृतज्ञ भारतवासी,
यह तेरा बलिदान जगावेगा स्वतंत्रता अविनासी,
होवे चुप इतिहास, लगे सच्चाई को चाहे फाँसी,
हो मदमाती विजय, मिटा दे गोलों से चाहे झाँसी।

तेरा स्मारक तू ही होगी, तू खुद अमिट निशानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥

Kumar Vishwas Patriotic Poems Lyrics in Hindi

Kumar Vishwas Poetry in Hindi

कुछ छोटे सपनो के बदले,
बड़ी नींद का सौदा करने,
निकल पडे हैं पांव अभागे,जाने कौन डगर ठहरेंगे !
वही प्यास के अनगढ़ मोती,
वही धूप की सुर्ख कहानी,
वही आंख में घुटकर मरती,
आंसू की खुद्दार जवानी,
हर मोहरे की मूक विवशता,चौसर के खाने क्या जाने
हार जीत तय करती है वे, आज कौन से घर ठहरेंगे
निकल पडे हैं पांव अभागे,जाने कौन डगर ठहरेंगे !

कुछ पलकों में बंद चांदनी,
कुछ होठों में कैद तराने,
मंजिल के गुमनाम भरोसे,
सपनो के लाचार बहाने,
जिनकी जिद के आगे सूरज, मोरपंख से छाया मांगे,
उन के भी दुर्दम्य इरादे, वीणा के स्वर पर ठहरेंगे
निकल पडे हैं पांव अभागे,जाने कौन डगर ठहरेंगे..!

Patriotic Poems in Hindi By Rabindranath Tagore

Rabindranath Tagore Poems in Hindi (नहीं मांगता)

नहीं मांगता, प्रभु, विपत्ति से, मुझे बचाओ, त्राण करो
विपदा में निर्भीक रहूँ मैं, इतना, हे भगवान, करो।
नहीं मांगता दुःख हटाओ, व्यथित ह्रदय का ताप मिटाओ
दुखों को मैं आप जीत लूँ,ऐसी शक्ति प्रदान करो

विपदा में निर्भीक रहूँ मैं,इतना, हे भगवान,करो।
कोई जब न मदद को आये मेरी हिम्मत टूट न जाये।
जग जब धोखे पर धोखा दे और चोट पर चोट लगाये –
अपने मन में हार न मानूं,ऐसा, नाथ, विधान करो।

विपदा में निर्भीक रहूँ मैं,इतना, हे भगवान,करो।
नहीं माँगता हूँ, प्रभु, मेरी जीवन नैया पार करो
पार उतर जाऊँ अपने बलइतना, हे करतार, करो।
नहीं मांगता हाथ बटाओ मेरे सिर का बोझ घटाओ

आप बोझ अपना संभाल लूँ ऐसा बल-संचार करो।
विपदा में निर्भीक रहूँ मैं,इतना, हे भगवान,करो।
सुख के दिन में शीश नवाकर,तुमको आराधूँ, करूणाकर।
औ’ विपत्ति के अन्धकार में,जगत हँसे जब मुझे रुलाकर

तुम पर करने लगूँ न संशय,यह विनती स्वीकार करो।
विपदा में निर्भीक रहूँ मैं,इतना, हे भगवान, करो।

–रबिन्द्रनाथ टैगोर–
देश भक्ति पर आधारित कविता – Poem on Patriotism in Hindi
अमरपुरी से भी बढ़कर के जिसका गौरव-गान है-
तीन लोक से न्यारा अपना प्यारा हिंदुस्तान है।
गंगा, यमुना सरस्वती से सिंचित जो गत-क्लेश है।
सजला, सफला, शस्य-श्यामला जिसकी धरा विशेष है।
ज्ञान-रश्मि जिसने बिखेर कर किया विश्व-कल्याण है-
सतत-सत्य-रत, धर्म-प्राण वह अपना भारत देश है।

यहीं मिला आकार ‘ज्ञेय’ को मिली नई सौग़ात है-
इसके ‘दर्शन’ का प्रकाश ही युग के लिए विहान है।
वेदों के मंत्रों से गुंजित स्वर जिसका निर्भ्रांत है।
प्रज्ञा की गरिमा से दीपित जग-जीवन अक्लांत है।
अंधकार में डूबी संसृति को दी जिसने दृष्टि है-
तपोभूमि वह जहाँ कर्म की सरिता बहती शांत है।
इसकी संस्कृति शुभ्र, न आक्षेपों से धूमिल कभी हुई-
अति उदात्त आदर्शों की निधियों से यह धनवान है।।

योग-भोग के बीच बना संतुलन जहाँ निष्काम है।
जिस धरती की आध्यात्मिकता, का शुचि रूप ललाम है।
निस्पृह स्वर गीता-गायक के गूँज रहें अब भी जहाँ-
कोटि-कोटि उस जन्मभूमि को श्रद्धावनत प्रणाम है।
यहाँ नीति-निर्देशक तत्वों की सत्ता महनीय है-
ऋषि-मुनियों का देश अमर यह भारतवर्ष महान है।

क्षमा, दया, धृति के पोषण का इसी भूमि को श्रेय है।
सात्विकता की मूर्ति मनोरम इसकी गाथा गेय है।
बल-विक्रम का सिंधु कि जिसके चरणों पर है लोटता-
स्वर्गादपि गरीयसी जननी अपराजिता अजेय है।
समता, ममता और एकता का पावन उद्गम यह है
देवोपम जन-जन है इसका हर पत्थर भगवान है।

-डॉ. गणेशदत्त सारस्वत
National Poem in Hindi – Desh Bhakti Poem in Hindi

Best Poem on Patriotism in Hindi

जाग रहे हम वीर जवान,
जियो जियो अय हिन्दुस्तान !
हम प्रभात की नई किरण हैं, हम दिन के आलोक नवल,
हम नवीन भारत के सैनिक, धीर,वीर,गंभीर, अचल ।
हम प्रहरी उँचे हिमाद्रि के, सुरभि स्वर्ग की लेते हैं ।
हम हैं शान्तिदूत धरणी के, छाँह सभी को देते हैं।
वीर-प्रसू माँ की आँखों के हम नवीन उजियाले हैं
गंगा, यमुना, हिन्द महासागर के हम रखवाले हैं।
तन मन धन तुम पर कुर्बान,
जियो जियो अय हिन्दुस्तान !
हम सपूत उनके जो नर थे अनल और मधु मिश्रण,
जिसमें नर का तेज प्रखर था, भीतर था नारी का मन !
एक नयन संजीवन जिनका, एक नयन था हालाहल,
जितना कठिन खड्ग था कर में उतना ही अंतर कोमल।
थर-थर तीनों लोक काँपते थे जिनकी ललकारों पर,
स्वर्ग नाचता था रण में जिनकी पवित्र तलवारों पर
हम उन वीरों की सन्तान ,
जियो जियो अय हिन्दुस्तान !
हम शकारि विक्रमादित्य हैं अरिदल को दलनेवाले,
रण में ज़मीं नहीं, दुश्मन की लाशों पर चलनेंवाले।
हम अर्जुन, हम भीम, शान्ति के लिये जगत में जीते हैं
मगर, शत्रु हठ करे अगर तो, लहू वक्ष का पीते हैं।
हम हैं शिवा-प्रताप रोटियाँ भले घास की खाएंगे,
मगर, किसी ज़ुल्मी के आगे मस्तक नहीं झुकायेंगे।
देंगे जान , नहीं ईमान,
जियो जियो अय हिन्दुस्तान।
जियो, जियो अय देश! कि पहरे पर ही जगे हुए हैं हम।
वन, पर्वत, हर तरफ़ चौकसी में ही लगे हुए हैं हम।
हिन्द-सिन्धु की कसम, कौन इस पर जहाज ला सकता ।
सरहद के भीतर कोई दुश्मन कैसे आ सकता है ?
पर की हम कुछ नहीं चाहते, अपनी किन्तु बचायेंगे,
जिसकी उँगली उठी उसे हम यमपुर को पहुँचायेंगे।
हम प्रहरी यमराज समान
जियो जियो अय हिन्दुस्तान!

– रामधारी सिंह दिनकर
Patriotic Poems in Hindi by Famous Poets – Patriotic Poems on India

देशभक्ति कविताएँ (शहीदों में तू नाम लिखा ले रे)

वह देश, देश क्या है, जिसमें
लेते हों जन्म शहीद नहीं।
वह खाक जवानी है जिसमें
मर मिटने की उम्मीद नहीं।
वह मां बेकार सपूती है,
जिसने कायर सुत जाया है।
वह पूत, पूत क्या है जिसने
माता का दूध लजाया है।
सुख पाया तो इतरा जाना,
दुःख पाया तो कुम्हला जाना।
यह भी क्या कोई जीवन है:
पैदा होना, फिर मर जाना!
पैदा हो तो फिर ऐसा हो,
जैसे तांत्या बलवान हुआ।
मरना हो तो फिर ऐसे मर,
ज्यों भगतसिंह कुर्बान हुआ।
जीना हो तो वह ठान ठान,
जो कुंवरसिंह ने ठानी थी।
या जीवन पाकर अमर हुई
जैसे झांसी की रानी थी।
यदि कुछ भी तुझ में जीवन है,
तो बात याद कर राणा की।
दिल्ली के शाह बहादुर की
औ कानपूर के नाना की।
तू बात याद कर मेरठ की,
मत भूल अवध की घातों को।
कर सत्तावन के दिवस याद,
मत भूल गदर की बातों को।
आज़ादी के परवानों ने जब
खूं से होली खेली थी।
माता के मुक्त कराने को
सीने पर गोली झेली थी।
तोपों पर पीठ बंधाई थी,
पेड़ों पर फांसी खाई थी।
पर उन दीवानों के मुख पर
रत्ती-भर शिकन न आई थी।
वे भी घर के उजियारे थे
अपनी माता के बारे थे।
बहनों के बंधु दुलारे थे,
अपनी पत्नी के प्यारे थे।
पर आदर्शों की खातिर जो
भर अपने जी में जोम गए।
भारतमाता की मुक्ति हेतु,
अपने शरीर को होम गए।
कर याद कि तू भी उनका ही
वंशज है, भारतवासी है।
यह जननी, जन्म-भूमि अब भी,
कुछ बलिदानों की प्यासी है।
अंग्रेज गए जैसे-तैसे,
लेकिन अंग्रेजी बाकी है।
उनके बुत छाती पर बैठे,
ज़हनियत अभी वह बाकी है।
कर याद कि जो भी शोषक है
उसको ही तुझे मिटाना है।
ले समझ कि जो अन्यायी है
आसन से उसे हटाना है।
ऐसा करने में भले प्राण
जाते हों तेरे, जाने दे।
अपने अंगों की रक्त-माल
मानवता पर चढ़ जाने दे।
तू जिन्दा हो और जन्म-भूमि
बन्दी हो तो धिक्कार तुझे।
भोजन जलते अंगार तुझे,
पानी है विष की धार तुझे।
जीवन-यौवन की गंगा में
तू भी कुछ पुण्य कमा ले रे!
मिल जाए अगर सौभाग्य
शहीदों में तू नाम लिखा ले रे!

– गोपाल प्रसाद व्यास
Desh Bhakti Kavita | देशभक्ति कविताएँ | Desh Bhakti Poems in Hindi By Rabindranath Tagore

(विपदाओं से रक्षा करो- यह न मेरी प्रार्थना)

विपदाओं से रक्षा करो – यह न मेरी प्रार्थना,
यह करो : विपद् में न हो भय।
दुख से व्यथित मन को मेरे
भले न हो सांत्वना,
यह करो : दुख पर मिले विजय।
मिल सके न यदि सहारा,
अपना बल न करे किनारा;-
क्षति ही क्षति मिले जगत् में
मिले केवल वंचना,
मन में जगत् में न लगे क्षय।
करो तुम्हीं त्राण मेरा-
यह न मेरी प्रार्थना,
तरण शक्ति रहे अनामय।
भार भले कम न करो,
भले न दो सांत्वना,
यह करो : ढो सकूँ भार-वय।
सिर नवाकर झेलूँगा सुख,
पहचानूँगा तुम्हारा मुख,
मगर दुख-निशा में सारा
जग करे जब वंचना,
यह करो : तुममें न हो संशय।

रबिन्द्रनाथ टैगोर
छोटी देशभक्ति कविताएँ | Patriotic Poems in Hindi By Ramdhari Singh Dinkar

आग की भीख – रामधारी सिंह “दिनकर”

धुँधली हुईं दिशाएँ, छाने लगा कुहासा,
कुचली हुई शिखा से आने लगा धुआँ-सा।
कोई मुझे बता दे, क्या आज हो रहा है;
मुँह को छिपा तिमिर में क्यों तेज रो रहा है?
दाता, पुकार मेरी, संदीप्ति को जिला दे,
बुझती हुई शिखा को संजीवनी पिला दे।
प्यारे स्वदेश के हित अंगार माँगता हूँ।
चढ़ती जवानियों का श्रृंगार मांगता हूँ।

बेचैन हैं हवाएँ, सब ओर बेकली है,
कोई नहीं बताता, किश्ती किधर चली है?
मँझधार है, भँवर है या पास है किनारा?
यह नाश आ रहा या सौभाग्य का सितारा?
आकाश पर अनल से लिख दे अदृष्ट मेरा,
भगवान, इस तरी को भरमा न दे अँधेरा।
तम-बेधिनी किरण का संधान माँगता हूँ।
ध्रुव की कठिन घड़ी में पहचान माँगता हूँ।

आगे पहाड़ को पा धारा रुकी हुई है,
बल-पुँज केसरी की ग्रीवा झुकी हुई है,
अग्निस्फुलिंग रज का, बुझ ढेर हो रहा है,
है रो रही जवानी, अन्धेर हो रहा है।
निर्वाक है हिमालय, गंगा डरी हुई है।
निस्तब्धता निशा की दिन में भरी हुई है।
पंचास्य-नाद भीषण, विकराल माँगता हूँ।
जड़ता-विनाश को फिर भूचाल माँगता हूँ।

मन की बँधी उमंगें असहाय जल रही हैं,
अरमान-आरज़ू की लाशें निकल रही हैं।
भीगी-खुली पलों में रातें गुज़ारते हैं,
सोती वसुन्धरा जब तुझको पुकारते हैं।
इनके लिये कहीं से निर्भीक तेज ला दे,
पिघले हुए अनल का इनको अमृत पिला दे।
उन्माद, बेकली का उत्थान माँगता हूँ।
विस्फोट माँगता हूँ, तूफान माँगता हूँ।

आँसू-भरे दृगों में चिनगारियाँ सजा दे,
मेरे श्मशान में आ श्रृंगी जरा बजा दे;
फिर एक तीर सीनों के आर-पार कर दे,
हिमशीत प्राण में फिर अंगार स्वच्छ भर दे।
आमर्ष को जगाने वाली शिखा नई दे,
अनुभूतियाँ हृदय में दाता, अनलमयी दे।
विष का सदा लहू में संचार माँगता हूँ।
बेचैन ज़िन्दगी का मैं प्यार माँगता हूँ।

ठहरी हुई तरी को ठोकर लगा चला दे,
जो राह हो हमारी उसपर दिया जला दे।
गति में प्रभंजनों का आवेग फिर सबल दे।
इस जाँच की घड़ी में निष्ठा कड़ी, अचल दे।
हम दे चुके लहू हैं, तू देवता विभा दे,
अपने अनल-विशिख से आकाश जगमगा दे।
प्यारे स्वदेश के हित वरदान माँगता हूँ,
तेरी दया विपद् में भगवान, माँगता हूँ।

देशभक्ति की फिल्में

देशभक्ति की कविताएं पढ़ने के पश्चात अब हम देशभक्ति पर आधारित कुछ फिल्मों पर नजर डालेंगे। बॉलीवुड में देशभक्ति की फिल्म के बारे में अक्सर काफी कम लोगों को पता होता है। यहां दी गई लिस्ट में से आप किसी भी देश भक्ति फिल्म को देख सकते है। यह सभी फिल्में देश के नागरिकों में देशभक्ति का जुनून पैदा करती हैं।

एक सच्चे देशभक्त की सबसे पहली प्राथमिकता अपना देश होती है, वह स्वयं के परिवार से पहले अपने देश की हिफाजत करना अपना उद्देश्य समझता है और देश के लिए सर्वस्व त्याग करने की क्षमता रखता है। इन देशभक्ति की फिल्मों को देखने के बाद आपको इसका एहसास हो जाएगा।

List of Patriotic Films in Hindi

1. शहीद

यह फिल्म युवा क्रांतिकारी भगत सिंह की जीवनी पर आधारित है, यह फिल्म शहीद-ए-आजम भगत सिंह के संघर्ष आजादी के प्रति संघर्षपूर्ण जीवन को दर्शकों के सामने रखने का प्रयास करती है। बता दें भारत-पाक 1965 युद्ध के समय ही रिलीज की गई है फिल्म को सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म के रूप में नेशनल अवार्ड से भी सम्मानित किया गया था। हालांकि उसके बाद से बॉलीवुड इंडस्ट्री में भगत सिंह के जीवन पर अन्य फिल्में बनाई गई जिनमें अजय देवगन की फिल्म द लीजेंड भगत सिंह भी है।

2. गांधी

वर्ष 1982 में रिलीज की गई गांधी मूवी को अब तक राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई अवार्ड मिल चुके है। देश के लिए थोड़ी दुर्भाग्य की बात यह है कि देश के राष्ट्रपिता कहे जाने वाले महात्मा गांधी के जीवन पर बनी यह फिल्म विदेशियों द्वारा बनाई गई थी। हालांकि फिल्म में भारतीय सरकार एवं कलाकारों का भी योगदान रहा परंतु महात्मा गांधी जी के महान व्यक्तित्व से प्रभावित होकर मूवी के लेखन निर्देशन एवं मुख्य किरदार का कार्य विदेशियों द्वारा ही किया गया। वे लोग जो गांधी के आदर्श जीवन से कुछ सीख लेना चाहते है। उनके लिए यह देश भक्ति की फिल्म काफी महत्वपूर्ण होगी।

3. नेताजी सुभाष चन्द्र बोस : द फॉरगॉटन हीरो (2004)

तुम मुझे खून दो का नारा देकर भारत की जनता को अंग्रेजों के चंगुल से मुक्त करने के लिए उन्हें एकत्रित करके भारत की आजादी में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस की चर्चा अक्सर कम ही की जाती है। साल 2004 में नेताजी को समर्पित यह मूवी एक देशभक्त के लिए काफी प्रेरणादाई है। हालांकि फिल्म अधिक चर्चा का केंद्र नहीं बनी लेकिन फिल्म के कलाकारों की खूब सराहना की गई।

इनके अलावा देशभक्ति पर आधारित सात अन्य फिल्मों के नाम निम्नलिखित हैं।

4. सरदार
5. मंगल पांडे: द राइजिंग
6. झांसी की रानी
7. हकीकत
8. बॉर्डर
9. 1971
10. लक्ष्य
देशभक्ति की शायरी | Desh Bhakti Shayari 2021

कम शब्दों में काफी कुछ कह जाने की शक्ति होती है शायरीयों में, अतः शायरियां सदियों से लोगों द्वारा खूब पसंद की जाती है। आजादी के दौरान भी देश भक्ति की शायरीयों ने लोगों में आजादी के लिए जोश भरने का कार्य किया। हम यहां प्रस्तुत कर रहे है देश भक्ति की कुछ शायरियां

और अधिक खूबसूरत
और भी ऊंचा
मेरे देश का नाम हो जाये,
काश कि देश का हर हिंदू विवेकानंद
और हर मुस्लिम कलाम हो जाये।
लड़े जंग वीरों की तरह,
जब खून खौल फौलाद हुआ |
मरते दम तक डटे रहे वो,
तब ही तो देश आजाद हुआ ||
दिलों की नफरत को निकालो
वतन के इन दुश्मनों को मारो
ये देश है खतरे में ए -मेरे -हमवतन
भारत माँ के सम्मान को बचा लो
जो देश के लिए शहीद हुए
उनको मेरा सलाम है
अपने खूंन से जिन्होंने इस जमीं को सींचा
उन बहादुरों को दिल से सलाम है.
अमन शांति मुल्क के बीच हो तो कोई बात बने,
बुझी मशाल को जलाओ तो कोई बात बने,
सूख गया है जो लहू वीर शहीदों का,
उसमें अपना लहू मिलाओ तो कोई बात बने।
लिख रहा हूं मैं अजांम जिसका कल आगाज आयेगा,
मेरे खून का प्रत्येक कतरा इकंलाब लाऐगा
मैं रहूँ या ना रहूँ पर ये वादा है तुमसे मेरा कि,
मेरे बाद वतन पर मरने वालों का एक सैलाब आयेगा।
देशभक्ति पर छोटी कहानी: Hindi Motivational Stories for Students

अब हम आपके समक्ष देश प्रेम की एक लघु कहानी प्रस्तुत करने जा रहे है, जो हमें सिखाती है कि देश के नागरिक के तौर पर हमारे लिए देश से बढ़कर कुछ नहीं, देशप्रेम सर्वथा उचित है और इससे बढ़कर कुछ भी नहीं। यह कहानी हमें सिखाती है कि मौका आने पर यदि हमें देशभक्ति का मौका मिले तो हमें पीछे नहीं हटना चाहिए।

एक बार की बात है एक देश की सीमा पर बसे एक गांव में आतंकवादियों ने कब्जा कर लिया। सैनिकों को जैसे ही इस बात की भनक मिली वे तुरंत उस गांव में बसे लोगों की मदद करने जा पहुंचे। लेकिन रास्ते में बड़ी समस्या यह आई कि सीमा पार उस गांव को पार करने से पूर्व एक छोटी सी नदी मिलती थी। लेकिन उस दिन घनघोर वर्षा होने की वजह से वह छोटी नदी भी विशालकाय प्रतीत हो रही थी और सैनिकों का निकलना वहां से मुश्किल हो गया था।

इसी बीच सैनिकों को वहां पास में एक झोपड़ी देखी।

👉 झोपड़ी में एक गरीब महिला रहती थी जिसके पास रहने के लिए सिर्फ झोपड़ी बची थी। सैनिकों ने उन्हें इस दृश्य के बारे में बताया और कहा कि हमें नदी पार करने के लिए कुछ लकड़ियों की आवश्यकता होगी आप देंगी तो बहुत मेहरबानी होगी।

👉 यह सुनकर उस महिला ने कहा कि आप मेरी झोपड़ी में से सारी लकड़ियां निकाल लीजिए। मैं अपनी झोपड़ी फिर से बना दूंगी लेकिन उनकी जान बचाना अत्यंत जरूरी है।

👉 महिला के इन शब्दों को सुनकर देश प्रेम में सैनिक भी गदगद हो उठे। और उन लकड़ियों की मदद से सैनिकों ने सीमा पार की और गांव तक पहुंच कर आतंकवादियों से उस गांव को छुड़ाया।


यहाँ मैंने आपके साथ 11 Patriotic Poems in Hindi Language में शेयर करी है और मैं उम्मीद करता हूँ कि आपको ये सभी कविता अत्यंत पसंद आई होगी|

अगर आपके पास भी कोई Desh Bhakti Kavita है जिसको आप हमारे साथ शेयर करना चाहते हो तो आप कमेंट के माध्यम से अपनी कविता शेयर कर सकते हो|

अगर आपको देश भक्ति कविता पसंद आयी हो तो इस लेख को जितना हो सके उतना सोशल मीडिया पर शेयर कीजिये|

“धन्यवाद” “जय हिंदी जय भारत”

Must Read :

Similar Posts

8 Comments

  1. बेहतरीन लेख … तारीफ-ए-काबिल … Share करने के लिए धन्यवाद। 🙂

  2. शपथ गृहण कर आज़ादी का उत्सव आज मनाते हैं…
    Bahut hi sundr poem

  3. very good poems in this site. very helpful. this is very good for children who have hindi poem recitation competition in school. especially my brother. DEVANSH GUPTA III-E. DPS GREATER FARIDABAD SECTOR 81(HARAYANA).
    NEAR BPTP PARK GRANDUERA SECTOR-82 (HARAYANA)

  4. देशभक्ति की ये कविताएं ,बच्चों में देशभक्ति की भावनाएं भरती हैं और उनको एक कुशल रास्ट्र भक्त नागरिक बनातीं हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *