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शहीद दिवस
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शहीद दिवस कब मनाया जाता है?

प्रत्येक वर्ष देश में 30 जनवरी और 23 मार्च को उन वीर शहीदों के बलिदानों को नमन किया जाता है। जिसने देश की आजादी, अखंडता और सम्मान को बनाए रखने हेतु खुशी खुशी अपना सर्वस्व देश की सेवा में न्योछावर कर दिया।

30 जनवरी को शहीद दिवस मना कर पूरा देश राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करता है। देश की आजादी में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने और अहिंसा के मार्ग पर चलकर अंग्रेजों को देश से खदेड़ने में अहम भूमिका निभाने वाले गांधी जी सदा के लिए भारतीयों की दिलों में अमर रहेंगे। बापू की पुण्यतिथि पर उनके सम्मान हेतु हर साल देश के विभिन्न राज्यों में उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है।

माननीय प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति तथा देश की कई जानी-मानी हस्तियां बापू को पुष्पांजलि करने हेतु उनके समाधि स्थल पर मौजूद होती हैं। जहां महात्मा गांधी को आजादी के खातिर रोकने के लिए अंग्रेजों के कई सारे हथकंडे फेल हुए। और वर्ष 1947 में अंग्रेजों को मजबूरन देश छोड़ना पड़ा। वहीं देश में ही रहकर एक शख्स ने आजादी के पश्चात 30 जनवरी की शाम बिरला भवन में गांधी जी पर गोली चला दी और क्षण भर में ही भारत का यह महान स्वतंत्रता सेनानी इस दुनिया को अलविदा कह गया।

माना जाता है नाथूराम गोडसे (गांधी जी पर गोली चलाने वाला शख्स) को गांधी जी का भारत विभाजन रास नहीं आया और बदले में उसने इस दुख दाई कृत्य को अंजाम दिया। हालांकि कानूनी कार्रवाई के तहत नाथूराम और उसके एक अन्य साथी को फांसी की सजा सुनाई गई और बाकी अन्य पर भी कानूनी कार्रवाई की गई और तभी से बापू की याद में पूरा देश 30 जनवरी को शहीद दिवस मनाता है। इसके अलावा 23 मार्च 1931 को भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दे दी गई थी  तो उनकी याद में भी शहीद दिवस मनाया जाता है।

23 मार्च शहीद दिवस का इतिहास और निबंध

Bhagat Singh

देश के इतिहास में 23 मार्च एक काला दिवस है, जिस दिन भारत के महान युवा क्रांतिकारी सुखदेव, भगत सिंह और राजगुरु को अंग्रेजी शासन के विरुद्ध खड़े होने के लिए फांसी पर चढ़ा दिया गया। एक शेर की भांति अपना जीवन जी कर देश की मिट्टी को ही अपना सर्वस्व मानते हुए वह खुशी खुशी फांसी के फंदे पर झूल गए। बचपन से ही देश के लिए कुछ करने और अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ लड़कर देश को आजादी दिलाने का सपना देखते हुए उन्होंने अल्पायु में ऐसे कार्य किए, जिससे अंग्रेजों की रूह कांप उठी।

  • वर्ष 1919 में जलियांवाला बाग कांड के नरसंहार से प्रेरित होकर कम उम्र से ही भगत सिंह ने एक क्रांतिकारी जीवन जीना शुरू किया।
  • वर्ष 1929 में असेंबली के खाली स्थान पर भगत सिंह और उनके साथियों ने बम डाल दिया। जिसके बाद चाहते तो वह इधर उधर भाग कर छुप सकते थे। परंतु उन्होंने समझा वे जेल में रहकर ही अपना संदेश अधिक लोगों तक पहुंचा सकते हैं।
  • 2 साल जेल में रहते हुए वे लेखन और अध्ययन का कार्य करते रहे। तय तिथि से एक दिन पहले ही भगत सिंह और उनके साथियों को 23 मार्च 1931 को फांसी पर लटका दिया गया, गौर करने वाली बात थी भारत मां का यह लाल खुशी खुशी फांसी के फंदे से झूल गया।

राजगुरु का जीवन परिचय

Rajguru

पुणे के खेड़ा में जन्मे शिवराम हरि राजगुरु का भी देश की आजादी हेतु किया गया योगदान सर्वथा याद किया जाएगा। वे कम उम्र में ही बाल गंगाधर तिलक के विचारों से प्रभावित थे। वर्ष 1919 में जलियांवाला बाग कांड के नरसंहार को देखते हुए राजगुरु ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ने और देश को आजादी दिलाने के खातिर अपना सर्वस्व त्यागने की प्रतिज्ञा ले ली थी। अतः जब साइमन कमीशन को लेकर नाराजगी के कारण लाला लाजपत राय विरोध के लिए लेटे हुए थे तो अंग्रेजों ने बड़ी बर्बरता के साथ उन्हें लाठी मार कर मौत के घाट उतार दिया। तो इस घटना का बदला लेने हेतु राजगुरु ने भगत सिंह के साथ मिलकर वर्ष 1928 को पुलिस अधीक्षक जे. पी. सांडर्स को गोली मारी और स्वयं गिरफ्तार हो गए।

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सुखदेव सिंह की जीवनी

Sukhdev

बात हो भगत सिंह राजगुरु की तो सुखदेव का भी नाम साथ में आ ही जाता है। क्योंकि सांडर्स की हत्या के मामले में उन्होंने भगत सिंह और राजगुरु का साथ दिया था अतः जेल में इन्हें भी बंद कर दिया गया। जेल में रहकर इस क्रांतिकारी ने कैदियों के साथ होने वाली बर्बरता के खिलाफ भी प्रदर्शन किया।

माना जाता है भगत सिंह और सुखदेव के बीच गहरा दोस्ताना था और सेंट्रल असेंबली में बम फेंकने के संबंध में जो बैठक हुई थी। उसमें भगत सिंह को बम फेंकने को लेकर मना किया गया था और संगठन द्वारा कहा गया कि उन्हें उनकी काफी जरूरत है लेकिन इन हालातों में देश को आजादी दिलाने के खातिर लिया गया यह निर्णय जरूरी समझते हुए भगत सिंह ने असेंबली में बम फेंक दिया।

भारत के इन तीनों महान क्रांतिकारियों को जब फांसी के तख्ते पर लटकाया गया तो इन तीनों के मुख से यह शब्द निकल रहे थे। मर कर भी न निकलेगी वतन की उल्फत मेरी मिट्टी से बदन की खुशबू आएगी। आज प्रति वर्ष शहीद दिवस मना कर देश के इन वीर सपूतों को नमन कर पूरा देश उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता है।


शहीद दिवस पर भगत सिंह के प्रेरणादायक विचार

बम और पिस्तौल किसी को क्रांतिकारी नहीं बनाती, उनके अंदर विचारों की घरघराहट उन्हें वह बनाती है।


शहीद दिवस पर विशेष

मैं एक मानव हूं और हर वह चीज जो मानव जाति को प्रभावित करती है वह मुझे प्रभावित करती है।


शहीद दिवस पर शायरी

एक व्यक्ति जो विकास के लिए आगे बढ़ रहा है उसे रूढ़िवादी विचारधारा की आलोचना कर उसे चुनौती देनी होगी।


शहीद दिवस पर कविता

देश की सेवा ही मेरा परम धर्म है।


Shaheed Diwas Quotes in Hindi

वे मुझे मार सकते हैं पर मेरे विचारों को नहीं, साम्राज्य टूट कर बिखर जाते हैं उनके विचार नहीं।


Shahid Diwas Quotes in Hindi

अगर किसी बहरे को सुनाना हो तो उसके कानों पर आवाज जोर से जानी चाहिए।


Shaheed Diwas Wishes in Hindi

सामान्य लोग रिस्थितियों में रहने के आदी हो जाते हैं और उन्हें बदलने के बारे में भी नहीं सोचते। ऐसी निष्क्रियता को क्रांतिकारी की भावना से बदला जा सकता है।


शहीद दिवस के नारे

राख का हर एक कण मेरी गर्मी से गतिमान है, मै एक कैसा पागल हूं जो जेल में रहकर भी आजाद है।


शहीद दिवस पर नारे

मेरे जीवन का एकमात्र लक्ष्य है देश की सेवा करना और इस लक्ष्य के अलावा संसार में ऐसी कोई वस्तु नहीं जो मुझे आकर्षित कर सकें।


Shaheed Diwas Shayari in Hindi

मेरी भावनाएं और मेरी कलम इस कदर एक दूसरे से रूबरू हैं अगर मैं इश्क भी लिखना चाहूं तो इंकलाब लिखा जाता है।


Shahid Diwas Par Shayari in Hindi

लिख रहा हूं अंजाम जिसका कल आगाज आएगा
मेरे खून का प्रत्येक कतरा इंकलाब लेकर आएगा

शहीद दिवस कब और कैसे मनाते हैं?

30 जनवरी को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्य तिथि के मौके पर दिल्ली के राजघाट पर भारतीय प्रधानमंत्री, उपराष्ट्रपति तथा अन्य सभी महात्मा गांधी की समाधि स्थल पर उन्हें पुष्प अर्पित करते हैं। तत्पश्चात 20 मिनट का मौन रखकर महात्मा गांधी को याद किया जाता है। और फिर उनकी याद में गीत और भजन गाए जाते हैं। यह गांधी जी का “वैष्‍णव जण तो तेणे कहिए जे बापू का प्रिय” भजन था जो गुजराती भाषा में है। इसी प्रकार भारत के विभिन्न भागों में वीर शहीदों कि पुण्यतिथि के मौके पर शहीद दिवस मना कर उनकी कुर्बानी को याद किया जाता है।

प्रत्येक सच्चे भारतीय के लिए शहीद दिवस के मायने बेहद खास हैं इसलिए हर साल शहीद दिवस के मौके पर बड़ी संख्या में लोग शहीदों की प्रतिमाओं पर फूल चढ़ाते हैं, सोशल मीडिया के माध्यम से देशवासी एक दूसरे को शहीद दिवस की शुभकामनाएं संदेश भेज कर उन वीर शहीदों को नमन करते हैं। इसके अलावा स्कूल कॉलेज में भी छात्रों के बीच शहीद दिवस के मौके पर वाद-विवाद, शहीद दिवस पर निबंध, इत्यादि प्रतियोगिता आयोजित की जाती हैं। ताकि छात्रों को शहीद दिवस का इतिहास और शहीद दिवस का महत्व पता चल सके।


शहीद दिवस बधाई संदेश
जिनकी कुर्बानियों से हम जीवित हैं
याद हमेशा वे हमें आएंगे,
न कभी हम भूल थे
और ना कभी भूल पाएंगे।

शहीद पर शायरी
बस यह बात हवाओं को बताए रखना
रोशनी होगी चिरागों को चलाए रखना
खून देकर की हिफाजत जिसकी
उस वतन के तिरंगे को सदैव दिल में बसाए रखना

शहीद सैनिक पर शायरी

जो देश के लिए शहीद हुए उन भारत माता के सपूतों को मेरा सलाम है।
अपने खून से जिन्होंने इस जमीं को सींचा
उन बहादुरों को है सलाम मेरा

भारतीय सेना पर शायरी
दी सलामी इस तिरंगे को जिससे बढ़ती तेरी शान है
सर हमेशा ऊंचा रखना इसका जब तक दिल में तेरे जान है।

शहीद दिवस पर महत्वपूर्ण तथ्य

प्रस्तुत है शहीद दिवस पर आधारित कुछ महत्वपूर्ण तथ्य जो आपको जरूर जानने चाहिए।

  1. भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव तीनों की फांसी का समय 24 मार्च 1931 निर्धारित किया गया था। परंतु उन्हें तय समय से 11 घंटे पहले 23 मार्च को ही फांसी पर लटका दिया गया।
  2. भारत में 17 नवंबर का दिन शहीद दिवस के रूप में लाला लाजपत राय को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए मनाया जाता है। वे एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्हें अंग्रेजी पुलिस द्वारा साइमन कमिशन के विरोध में लाठी मारकर बुरी तरह चोटिल किया, परिणामस्वरूप अंततः उनकी मृत्यु हो गई।
  3. झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के जन्मदिन को भारत के मध्य प्रदेश राज्य में 19 नवंबर को शहीद दिवस के तौर पर मनाया जाता है।
  4. सहादत के समय भगत सिंह की उम्र मात्र 23 वर्ष थी अतः उन्हें एक महान युवा क्रांतिकारी के रूप में जाना जाता है।
  5. शहीद-ए-आजम भगत सिंह बहुभाषी थे उन्हें हिंदी पंजाबी अंग्रेजी उर्दू इत्यादि अन्य भाषाओं का अच्छा ज्ञान था।
  6. फांसी से पूर्व भगत सिंह ने जेल में रहकर 116 दिनों तक उपवास रखा इस दौरान वे अपनी सभी दैनिक क्रियाएं सुचारु रुप से करते रहे।
निष्कर्ष

तो इस लेख में आपने शहीद दिवस पर नारे, Quotes और Wishes पढ़े, हमें आशा है शहीद दिवस के बारे में लिखा यह लेख आपके लिए उपयोगी साबित हुआ होगा। अगर आप इस लेख में दी गई जानकारी से संतुष्ट हैं तो आप इसे सोशल मीडिया पर शेयर करना ना भूलें।

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